क्या प्रधानमंत्री मोदी ने कन्नड़ भाषा की सराहना करके कर्नाटकवासियों का मनोबल बढ़ाया?

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क्या प्रधानमंत्री मोदी ने कन्नड़ भाषा की सराहना करके कर्नाटकवासियों का मनोबल बढ़ाया?

सारांश

प्रधानमंत्री मोदी ने 'मन की बात' में कन्नड़ भाषा की सराहना की, जिससे कर्नाटकवासियों में खुशी और आत्मविश्वास का संचार किया। यह पहल कन्नड़ विरासत के संरक्षण में महत्वपूर्ण है। जानें इस विषय पर लोगों की क्या प्रतिक्रियाएं हैं।

Key Takeaways

  • प्रधानमंत्री मोदी ने कन्नड़ भाषा की सराहना की।
  • कन्नड़ पाठशाला बच्चों को भाषा सिखाने की पहल है।
  • कन्नड़ भाषा को 2008 में शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिला।
  • कर्नाटकवासियों में खुशी और गर्व का माहौल है।
  • संस्कृति का संरक्षण महत्वपूर्ण है।

नई दिल्ली, 28 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम के दौरान भारत की भाषाई और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के महत्व पर विस्तार से चर्चा की और कन्नड़ भाषा को बढ़ावा देने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की प्रशंसा की। उन्होंने बताया कि संस्कृति से जुड़े रहने के प्रयास केवल भारत तक सीमित नहीं हैं, बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी अपनी विरासत को बनाए रखने में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

उदाहरण के तौर पर, उन्होंने दुबई में रहने वाले कन्नड़ भाषी परिवारों का उल्लेख करते हुए कहा, "वहां रहने वाले परिवारों ने खुद से एक महत्वपूर्ण सवाल पूछा कि हमारे बच्चे तकनीकी क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन क्या वे अपनी भाषा से दूर हो रहे हैं? इसी सोच से 'कन्नड़ पाठशाला' की शुरुआत हुई। यह एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसमें बच्चों को कन्नड़ पढ़ना, लिखना और बोलना सिखाया जाता है। आज एक हजार से अधिक बच्चे इससे जुड़े हुए हैं। वास्तव में, कन्नड़ नाडु, नुडी नम्मा हेम्मे (कन्नड़ की भूमि और भाषा हमारा गर्व है)।

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा कन्नड़ भाषा और कन्नड़ भाषी लोगों की प्रशंसा से राज्य के निवासियों में खुशी और उत्साह का माहौल है, जिसे उन्होंने मनोबल बढ़ाने वाला बताया।

बीदर के प्रोफेसर सिद्धारमप्पा महाशिमादे ने राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' में कन्नड़ भाषा की समृद्ध विरासत की चर्चा की, जो सभी कन्नड़ भाषी लोगों के लिए गर्व की बात है। कन्नड़ जैसी क्षेत्रीय भाषा को अंतरराष्ट्रीय मान्यता दिलाने का उनका प्रयास भारत की भाषाई और सांस्कृतिक विविधता के प्रति उनके सम्मान को दर्शाता है।"

उन्होंने आगे कहा, "कन्नड़ को 2008 में शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिला था और इसका साहित्यिक इतिहास 2,000 वर्षों से भी अधिक पुराना है। इस भाषा को महान कवियों, संतों और विद्वानों ने संजोया है और इसे सबसे अधिक ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। प्रधानमंत्री द्वारा विदेशी कन्नड़ भाषियों के बीच कन्नड़ शिक्षा और सांस्कृतिक गतिविधियों का जिक्र इसकी वैश्विक उपस्थिति को उजागर करता है। कर्नाटक यात्रा के दौरान उनके भाषणों की शुरुआत कन्नड़ में करने की प्रथा उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।"

बीदर जिले के एमजी देशपांडे ने कहा, "दुबई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कन्नड़ भाषा के बारे में बोलते हुए सुनकर मुझे गर्व और खुशी का अनुभव हुआ।"

उन्होंने आगे कहा, "लगभग 2,000 वर्षों के इतिहास और आठ ज्ञानपीठ पुरस्कारों के साथ, कन्नड़ विश्व की सर्वश्रेष्ठ भाषाओं में से एक है। जब प्रधानमंत्री अंतरराष्ट्रीय मंच पर कन्नड़ को प्रमुखता देते हैं, तो इससे सभी कन्नड़ भाषी लोगों को गर्व और आत्मविश्वास मिलता है।"

कर्नाटक विश्वविद्यालय के शोध छात्र विद्यानंद ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी द्वारा कर्नाटक की सराहना से राज्य के लोगों में खुशी का माहौल है।"

उन्होंने राष्ट्र प्रेस को बताया, "लोगों में यह भावना थी कि केंद्र सरकार की प्रशासनिक व्यवस्था में क्षेत्रीय भाषाओं को प्राथमिकता नहीं मिल रही है और उनकी चिंता थी कि कन्नड़ भाषा को मौका मिलेगा या नहीं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने इस चिंता को दूर कर दिया है।"

साध्वी अम्मा ने कन्नड़ भाषा के लिए प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "यह हमारे लिए सम्मान की बात है कि प्रधानमंत्री मोदी ने हमारी कन्नड़ भाषा का जिक्र किया।"

कर्नाटक के कलबुर्गी में भाजपा नेता अंबारय अष्टगी ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक और हमारी कन्नड़ भाषा के प्रति अपनी खुशी व्यक्त की। मैं उन्हें बधाई देता हूं और कन्नड़ भाषा और संस्कृति की प्रशंसा के लिए उनका धन्यवाद करता हूं।"

Point of View

प्रधानमंत्री मोदी ने जब इसकी सराहना की, तो यह केवल एक भाषाई प्रशंसा नहीं थी, बल्कि यह भारतीय संस्कृति के प्रति एक गहरा सम्मान था। यह कदम कर्नाटकवासियों के लिए गर्व का विषय है और उनकी धरोहर को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में मदद करेगा।
NationPress
28/12/2025

Frequently Asked Questions

प्रधानमंत्री मोदी ने कन्नड़ भाषा की क्यों सराहना की?
प्रधानमंत्री मोदी ने कन्नड़ भाषा की सराहना संस्कृति के संरक्षण और इसके वैश्विक महत्व को समझते हुए की।
कन्नड़ पाठशाला क्या है?
'कन्नड़ पाठशाला' एक पहल है, जहां बच्चों को कन्नड़ पढ़ने, लिखने और बोलने की शिक्षा दी जाती है।
कन्नड़ भाषा को कब शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिला?
कन्नड़ को 2008 में शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिला।
कन्नड़ भाषा का साहित्यिक इतिहास कितना पुराना है?
कन्नड़ भाषा का साहित्यिक इतिहास 2,000 वर्षों से अधिक पुराना है।
कन्नड़ भाषा के लिए लोगों की क्या प्रतिक्रियाएं थीं?
कर्नाटकवासियों ने प्रधानमंत्री की सराहना को मनोबल बढ़ाने वाला बताया और अपनी भाषा के प्रति गर्व महसूस किया।
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