क्या भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग हब बन गया?

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क्या भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग हब बन गया?

सारांश

क्या आप जानते हैं कि भारत ने मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग में एक नई ऊंचाई पर पहुंचकर दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हब बनने का ऐलान किया है? इस सफलता के पीछे की कहानी और इसके प्रभाव को जानिए।

Key Takeaways

  • भारत अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग हब है।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में छह गुना वृद्धि हुई है।
  • पीएलआई योजना ने 13,475 करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित किया है।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स अब भारत की तीसरी सबसे बड़ी निर्यात श्रेणी है।
  • इस क्षेत्र में 1.3 लाख से ज्यादा नौकरियां बनी हैं।

नई दिल्ली, 27 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शनिवार को बताया कि भारत अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग हब बन चुका है। इसके साथ ही, देश में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में छह गुना की वृद्धि हुई है।

वैष्णव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि केंद्र सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) जैसी योजनाओं के चलते देश का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात पिछले 11 वर्षों में आठ गुना बढ़ा है।

उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों की मैन्युफैक्चरिंग के लिए लाई गई पीएलआई योजना ने 13,475 करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित किया है और इसके परिणामस्वरूप इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में 9.8 लाख करोड़ रुपए का उत्पादन हुआ है, जिससे नौकरियों और निर्यात में वृद्धि हुई है।

वैष्णव ने साझा किया कि पिछले पांच वर्षों में इस सेक्टर में 1.3 लाख से अधिक नौकरियां उत्पन्न हुई हैं और इलेक्ट्रॉनिक्स अब भारत की तीसरी सबसे बड़ी निर्यात श्रेणी बन गई है।

उन्होंने कहा कि देश पहले केवल तैयार उत्पादों पर ध्यान केंद्रित कर रहा था, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग योजना ने मॉड्यूल, कंपोनेंट, सब-मॉड्यूल, कच्चे माल और उन्हें बनाने वाली मशीनों के लिए क्षमता निर्माण में बदलाव को समर्थन दिया है।

पोस्ट में बताया गया है कि इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग योजना में 249 आवेदन आए हैं, जो 1.15 लाख करोड़ रुपए के निवेश, 10.34 लाख करोड़ रुपए के उत्पादन और 1.42 लाख नौकरियां पैदा करने का संकेत देते हैं। यह भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में अब तक की सबसे बड़ी निवेश प्रतिबद्धता है, जो उद्योग के विश्वास को दर्शाती है।

वैष्णव ने सेमीकंडक्टर क्षेत्र में हुई प्रगति के बारे में भी बताया और कहा कि दस यूनिट्स को मंजूरी मिल गई है, जिनमें से तीन पहले से ही पायलट या प्रारंभिक उत्पादन में हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत से फैब्स और एटीएमपी जल्द ही फोन और इलेक्ट्रॉनिक्स बनाने वाली कंपनियों को चिप्स प्रदान करेंगे।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, "पिछले दशक में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग से 25 लाख नौकरियां पैदा हुईं। यह असली आर्थिक विकास है।"

उन्होंने कहा, "जैसे-जैसे हम सेमीकंडक्टर और कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाएंगे, रोजगार के अवसर तेजी से बढ़ेंगे। तैयार उत्पादों से लेकर कंपोनेंट्स तक, उत्पादन बढ़ रहा है। निर्यात बढ़ रहा है। ग्लोबल कंपनियां भरोसेमंद हैं और भारतीय कंपनियां प्रतिस्पर्धी हैं। नौकरियां पैदा हो रही हैं। यह 'मेक इन इंडिया' की सफलता की कहानी है।"

Point of View

जो न केवल तकनीकी विकास को दर्शाता है, बल्कि रोजगार सृजन और निर्यात वृद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह एक सकारात्मक दिशा में कदम है, जो देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा।
NationPress
27/12/2025

Frequently Asked Questions

भारत का मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग हब बनने का क्या महत्व है?
यह भारत को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार में एक प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त देता है और लाखों नौकरियों का सृजन करता है।
इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में वृद्धि कैसे हुई?
केंद्र सरकार की पीएलआई योजना और अन्य नीतियों के माध्यम से उत्पादन में तेजी आई है।
क्या इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में और निवेश की संभावना है?
हां, बहुत सारे आवेदन आ रहे हैं और निवेश की उम्मीदें बढ़ रही हैं।
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