क्या रतन टाटा के पांच बड़े निर्णयों ने टाटा ग्रुप को वैश्विक पहचान दिलाई?
सारांश
Key Takeaways
- रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था।
- उन्होंने 1991 से 2012 तक टाटा ग्रुप का नेतृत्व किया।
- जगुआर लैंड रोवर का अधिग्रहण एक महत्वपूर्ण निर्णय था।
- नैनो कार का विचार आम लोगों के लिए कार उपलब्ध कराने का था।
- एयर इंडिया का अधिग्रहण टाटा ग्रुप के लिए एक नया अध्याय था।
नई दिल्ली, 27 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के प्रमुख कारोबारियों में रतन टाटा का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। उन्हें उद्योगों के विकास और टाटा ब्रांड को वैश्विक मंच पर पहुंचाने के लिए सराहा गया है। 28 दिसंबर 1937 को जन्मे रतन टाटा की पहली जयंती रविवार को मनाई जाएगी।
उन्होंने 1991 से 2012 तक टाटा ग्रुप का नेतृत्व किया, जिसके दौरान कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए, जिन्होंने समूह को वैश्विक पहचान दिलाई।
इनमें सबसे महत्वपूर्ण था जगुआर लैंड रोवर (जेएलआर) का अधिग्रहण, जो टाटा मोटर्स ने 2008 में फोर्ड मोटर से 2.3 अरब डॉलर में किया। यह अधिग्रहण रतन टाटा के लिए एक व्यक्तिगत जीत था, क्योंकि 1999 में फोर्ड ने टाटा मोटर्स को इस क्षेत्र में प्रवेश से रोकने का प्रयास किया था।
रतन टाटा को नैनो कार का जनक भी माना जाता है, जिसे उन्होंने 2008 में एक लाख रुपए की कीमत पर पेश किया। हालांकि, यह कार अपेक्षित सफलता नहीं प्राप्त कर सकी और 2018 में इसका उत्पादन बंद कर दिया गया।
उनके नेतृत्व में 2022 में टाटा ग्रुप ने एयर इंडिया का अधिग्रहण किया, जो 18,000 करोड़ रुपए में संपन्न हुआ। अब एयर इंडिया का 27 प्रतिशत का मार्केट शेयर है, और यह देश की दूसरी सबसे बड़ी एयरलाइन बन गई है।
रतन टाटा ने कंज्यूमर टेलीकॉम में भी कदम रखा, जब टाटा डोकोमो की स्थापना 2008 में की गई। हालांकि, कई चुनौतियों का सामना करने के बाद यह संयुक्त उपक्रम 2017 में समाप्त हो गया।
रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा एडवांस सिस्टम लिमिटेड (टीएएसएल) ने 2007 में रक्षा क्षेत्र में प्रवेश किया, जो एक महत्वपूर्ण कदम था।