क्या कम राजस्व वृद्धि और बढ़ता कर्ज ही चंद्रबाबू नायडू की ‘विजन’ है?
सारांश
Key Takeaways
- कम राजस्व वृद्धि और बढ़ता कर्ज टीडीपी सरकार की प्रमुख चुनौतियाँ हैं।
- टीडीपी के दावे और वास्तविकता में बड़ा अंतर है।
- जगन मोहन रेड्डी ने अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर चिंता व्यक्त की है।
- पूंजीगत व्यय में गिरावट है, जो विकास को प्रभावित कर रही है।
- सरकार द्वारा किए गए दावों की वास्तविकता को समझना आवश्यक है।
अमरावती, 16 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। पूर्व मुख्यमंत्री और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के नेता वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने टीडीपी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के आर्थिक प्रदर्शन पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि कम राजस्व वृद्धि, घटता पूंजीगत व्यय और बढ़ता कर्ज ही मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू का असली विजन है।
जगन ने रविवार को ‘एक्स’ पर साझा करते हुए बताया कि वित्त वर्ष 2025-26 के पहले छमाही के लिए कैग द्वारा जारी आंकड़े राज्य सरकार के राजस्व में बेहद निराशाजनक वृद्धि दर्शाते हैं। यह टीडीपी और जनसेना पार्टी (जेएसपी) द्वारा चुनाव के दौरान किए गए बड़े दावों के विपरीत है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि टीडीपी गठबंधन सरकार के वित्तीय प्रदर्शन का सारांश ही उनकी नाकामियों को उजागर कर देता है। कैग के आंकड़ों के अनुसार, 2025-26 की पहली छमाही में राज्य के अपने कर राजस्व में वर्ष-दर-वर्ष केवल 7.03 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2025-26 में सुधार की आशा थी, लेकिन आंकड़े इसके विपरीत संकेत कर रहे हैं।
जगन ने कहा कि जीएसटी और बिक्री कर का कुल राजस्व इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में केवल 2.85 प्रतिशत बढ़ा है।
उन्होंने कहा कि यदि 2023-24 से 2025-26 की दो वर्षीय अवधि के पहले छह महीनों के राजस्व की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) देखी जाए, तो स्थिति और भी खराब है, राज्य के अपने कर राजस्व की वृद्धि केवल 2.75 प्रतिशत रही है। इसके बावजूद मुख्यमंत्री नायडू लोगों को तेज आर्थिक प्रगति का आश्वासन दे रहे हैं।
जगन ने कहा कि टीडीपी गठबंधन सरकार ने 2024-25 में 12.02 प्रतिशत और 2025-26 में 17.1 प्रतिशत जीएसडीपी वृद्धि का दावा किया है। इस तरह की आर्थिक वृद्धि का अर्थ है भारी खपत और निवेश, जिसका प्रतिबिंब कर राजस्व की 12–15 प्रतिशत वृद्धि में दिखना चाहिए था, लेकिन वास्तविकता में कर राजस्व की वृद्धि दर मात्र 2.75 प्रतिशत रही है, जो सरकार के दावों को गलत साबित करती है।
उन्होंने बताया कि पूंजीगत व्यय का प्रदर्शन तो और भी खराब है, जिसमें पिछले दो वर्षों में 16 प्रतिशत की नकारात्मक सीएजीआर दर्ज की गई है।
जगन ने बताया कि 2025-26 की पहली तिमाही में राज्य के अपने राजस्व में वर्ष-दर-वर्ष मात्र 3.47 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि जीएसटी और बिक्री कर का संयुक्त राजस्व पिछले वर्ष की समान अवधि से भी कम रहा। इसके बावजूद सरकार 10.50 प्रतिशत जीएसडीपी वृद्धि का दावा कर रही है, जिसे उन्होंने “अतार्किक” बताया।