क्या शशिकांत सेंथिल ने इंडिगो संकट पर केंद्र पर हमला किया?
सारांश
Key Takeaways
- इंडिगो संकट ने हवाई यात्रा को प्रभावित किया है।
- कांग्रेस सांसद शशिकांत सेंथिल ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए।
- उड़ान योजना केवल दिखावा है।
- सरकार की नीतियों ने कॉर्पोरेट गठजोड़ को बढ़ावा दिया है।
- यात्रियों की सुरक्षा को खतरा है।
नई दिल्ली, 6 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। देशभर में उत्पन्न हुए इंडिगो संकट के बीच कांग्रेस सांसद शशिकांत सेंथिल ने केंद्र सरकार पर विमानन क्षेत्र में एकाधिकार और द्वयाधिकार निर्माण का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत 'उड़ान योजना' के अंतर्गत हवाई यात्रा को सरल बनाने का वादा केवल एक दिखावा साबित हुआ है और वर्तमान इंडिगो संकट इसका स्पष्ट उदाहरण है।
सेंथिल ने बताया कि 5 दिसंबर को इंडिगो की 1,000 से अधिक उड़ानें रद्द हुईं और 6 दिसंबर को भी कई फ्लाइट के रद्द होने से देश की हवाई यात्रा सेवा पूरी तरह ठप हो गई है। सांसद ने इसे किसी प्राकृतिक दुर्घटना या तकनीकी विफलता के रूप में नहीं, बल्कि भाजपा सरकार की नीतियों का परिणाम बताया।
उन्होंने कहा कि सरकार लगातार कुछ चुनिंदा कॉर्पोरेट समूहों को लाभ पहुंचाने की कोशिश में लगी हुई है, जिससे उद्योग और यात्रियों दोनों को गंभीर नुकसान हुआ है। पायलट की थकान को रोकने के लिए बनाए गए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन नियमों का पालन न कराना और उन्हें काम से हटाना यात्रियों की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है।
सांसद ने सवाल किया कि क्यों केवल कुछ चुनिंदा कॉर्पोरेट समूहों को स्ट्रैटेजिक रूप से महत्वपूर्ण एयरपोर्ट और संसाधन प्रदान किए जा रहे हैं, जबकि अन्य सक्षम कंपनियों को मौका नहीं दिया जाता।
शशिकांत सेंथिल ने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए हुई वित्तीय नजदीकी का जिक्र करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही इस योजना को असंवैधानिक करार दे चुका है। उन्होंने आरोप लगाया कि इंटरग्लोब समूह ने लगभग 36 करोड़ रुपए और उसके प्रमोटर राहुल भाटिया ने करीब 20 करोड़ रुपए के बॉन्ड खरीदे, जिनमें से कई भाजपा के पास गए। सांसद ने सवाल उठाया कि क्या यही वित्तीय नजदीकी इंडिगो को नियमों से बचाने और यात्रियों की सुरक्षा को जोखिम में डालने का कारण बनी।
सेंथिल ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार योग्यता और पारदर्शिता की बजाय राजनीतिक वफादारी और कॉर्पोरेट गठजोड़ को प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने कहा कि यही नीति न केवल विमानन बल्कि दूरसंचार, पोर्ट्स, इंफ्रास्ट्रक्चर और सीमेंट जैसे उद्योगों में भी दोहराई जा रही है।
सांसद ने सवाल किया कि पिछले 11 वर्षों में भाजपा ने विमानन क्षेत्र को प्रतिस्पर्धी बनाने की बजाय इसे डुओपॉली में क्यों सीमित किया? डीजीसीए क्यों विफल रहा कि इंडिगो ने फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन नियमों का पालन न किया? क्या उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू इस संकट की जिम्मेदारी लेंगे या खोखले बयान देकर बचेंगे?