क्या इस्तीफे के बाद पहली बार किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में दिखे पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़?
सारांश
Key Takeaways
- जगदीप धनखड़ की सार्वजनिक जीवन में वापसी का संकेत।
- डॉ. मनमोहन वैद्य की पुस्तक का महत्व।
- भाजपा-आरएसएस समर्थकों की उपस्थिति।
- राजनीतिक वार्तालाप में 'नैरेशन' की चुनौतियाँ।
- धनखड़ की मजाकिया टिप्पणियाँ।
भोपाल, 21 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। जुलाई 2025 में उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के पश्चात, जगदीप धनखड़ शुक्रवार को पहली बार किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में दिखाई दिए। पूर्व उपराष्ट्रपति धनखड़ ने भोपाल में एक पुस्तक विमोचन समारोह में भाग लिया।
धनखड़ ने शुक्रवार को भोपाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ पदाधिकारी एवं सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य द्वारा लिखित पुस्तक "हम और यह विश्व" का विमोचन किया।
इस आयोजन का आयोजन विशाल कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में हुआ, जहाँ संघ विचारक, बुद्धिजीवी और बड़ी संख्या में भाजपा-आरएसएस समर्थक उपस्थित थे।
74 वर्षीय धनखड़ ने हृदय संबंधी समस्या के चलते 21 जुलाई को अपने पद से इस्तीफा दिया था। इस समय तक वह किसी भी सार्वजनिक कार्यक्रम में नहीं दिखाई दिए थे। उनके संवैधानिक पद से अचानक हटने के बाद, यह उनकी सार्वजनिक जीवन में वापसी का संकेत माना जा रहा है।
जगदीप धनखड़ ने पुस्तक की सराहना करते हुए इसे भारत के सभ्यतागत विश्व दृष्टिकोण और इसकी समकालीन वैश्विक प्रासंगिकता की गहन खोज बताया। उन्होंने स्वदेशी दृष्टिकोणों पर आधारित कथा-निर्माण की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि डॉ. वैद्य की यह कृति आज के संदर्भ में भारत के वसुधैव कुटुम्बकम के शाश्वत संदेश को खूबसूरती से व्यक्त करती है।
डॉ. मनमोहन वैद्य ने धनखड़ की उपस्थिति के लिए धन्यवाद दिया और इसे कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणादायक बताया। धनखड़ ने आयोजकों के साथ गर्मजोशी से बातचीत की।
इस अवसर पर उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में 'नैरेशन' की चुनौतियों पर बात की। यह एक ऐसा शब्द है जिसका उपयोग अक्सर राजनीतिक बातचीत में लोगों की सोच को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।
उन्होंने मजाक करते हुए कहा, 'नैरेशन में बहुत बड़ी समस्या है' जिसे सुनकर ऑडियंस हंस पड़ी। इसके बाद उन्होंने कहा, "मैं अपनी मिसाल नहीं दे रहा हूं।" इस पर उपस्थित लोग फिर से हंस पड़े। दरअसल, उपराष्ट्रपति रहते हुए वह अक्सर संसद में रुकावटों को लेकर विपक्षी सदस्यों से भिड़ जाते थे।