क्या झारखंड के आपराधिक गिरोह पाकिस्तान से हथियार मंगा रहे हैं? कानून-व्यवस्था की विफलता: बाबूलाल मरांडी

सारांश
Key Takeaways
- झारखंड में आपराधिक गिरोह पाकिस्तान से हथियार मंगा रहे हैं।
- रांची पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए गए हैं।
- रंगदारी वसूली का तंत्र राज्य में मजबूत हो गया है।
- व्यापारी समुदाय भय और असुरक्षा में जी रहा है।
- उच्चस्तरीय जांच की मांग की गई है।
रांची, 23 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के नेता प्रतिपक्ष और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि रांची पुलिस ने आधिकारिक तौर पर खुलासा किया है कि राज्य के आपराधिक गिरोह पाकिस्तान से हथियार मंगाकर वारदात अंजाम दे रहे हैं। यह एक गंभीर मामला है और इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए।
मरांडी ने कहा कि पुलिस के अनुसार, झारखंड के आपराधिक गैंग का नेटवर्क ड्रोन के माध्यम से पाकिस्तान से पंजाब के मोगा में हथियार मंगवाता है, और इसके बाद इन हथियारों को अपने गुर्गों को सप्लाई करता है। इन हथियारों का उपयोग रांची सहित कई क्षेत्रों में बड़े कारोबारियों, पूंजीपतियों और व्यवसायियों से रंगदारी वसूलने के लिए किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि यह स्थिति झारखंड पुलिस और खुफिया एजेंसियों की घोर विफलता को उजागर करती है। भाजपा नेता ने कहा कि राज्य में रंगदारी और वसूली का तंत्र इतना मजबूत हो गया है कि धनबाद में ठेले-खोमचे वालों से लेकर बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठानों तक से खुलेआम रंगदारी मांगी जा रही है। बोकारो, जमशेदपुर और राजधानी रांची जैसे शहरों में व्यापारी समुदाय भय और असुरक्षा के वातावरण में जी रहा है। कई व्यवसायियों ने अपने प्रतिष्ठानों से मोबाइल नंबर तक हटा दिए हैं, जबकि कुछ लोग भयवश कारोबार बंद कर राज्य से पलायन कर चुके हैं।
मरांडी ने सवाल उठाया कि जब पाकिस्तान से हथियार मंगाने वाला प्रिंस खान नामक अपराधी का पूरा गिरोह बड़े स्तर पर यह काम कर रहा था, तब पुलिस और खुफिया विभाग को इसकी भनक क्यों नहीं लगी? क्या यह संभव है कि वसूली में हिस्सेदारी के कारण पुलिस इन गिरोहों को संरक्षण देती रही हो?
उन्होंने कहा कि जब पुलिस नेतृत्व का मुख्य उद्देश्य ही वसूली बन जाए तो उसकी संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता। मरांडी ने मुख्यमंत्री से मांग की कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष और उच्चस्तरीय जांच कराई जाए ताकि सच्चाई सामने आ सके और राज्य में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जनता का भरोसा बहाल हो सके।