क्या झारखंड हाईकोर्ट ने जेपीएससी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा के रिजल्ट को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की?

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क्या झारखंड हाईकोर्ट ने जेपीएससी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा के रिजल्ट को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की?

सारांश

झारखंड हाईकोर्ट ने जेपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा के परिणाम को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। इस फैसले ने परीक्षा प्रक्रिया की पारदर्शिता को साबित कर दिया है। जानें पूरी खबर में क्या है खास।

Key Takeaways

  • झारखंड हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है।
  • परीक्षा परिणाम में पारदर्शिता को बरकरार रखा गया।
  • याचिकाकर्ता की आपत्तियां समय पर नहीं उठाई गईं।
  • संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा में 342 पदों की नियुक्ति होगी।
  • मूल्यांकन प्रक्रिया को लेकर कोई अनियमितता नहीं मिली।

रांची, 3 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड हाईकोर्ट ने झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की 11वीं से 13वीं संयुक्त सिविल सेवा मुख्य परीक्षा के परिणाम को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है।

जस्टिस दीपक रोशन की बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद गुरुवार को फैसला सुनाया। प्रार्थी अयूब तिर्की और राजेश कुमार की ओर से दायर याचिका में परीक्षा को लेकर 2024 में जारी विज्ञापन और मेरिट लिस्ट पर कई आपत्तियां उठाई गई थीं।

याचिका में कहा गया था कि इस सिविल सेवा परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं का डिजिटल मूल्यांकन कराया गया, जबकि इसका कोई प्रावधान नियमावली में नहीं है। मूल्यांकन में थर्ड पार्टी एजेंसी की सेवा ली गई, लेकिन यह थर्ड पार्टी एजेंसी कौन है और उसे यह काम किस टेंडर के आधार पर सौंपा गया, इस संबंध में जानकारी नहीं है।

यह भी दावा किया गया था कि क्षेत्रीय भाषा की कॉपियों की जांच कम अनुभव वाले परीक्षकों से कराई गई, जबकि नियम के अनुसार कम से कम 10 वर्षों का अनुभव रखने वाले परीक्षकों से जांच कराना आवश्यक था।

इन आपत्तियों के आधार पर परीक्षा परिणाम को रद्द करने की मांग की गई थी। अदालत ने पिछली सुनवाई के दौरान जेपीएससी को नोटिस जारी करते हुए याचिका में उठाई गई आपत्तियों को लेकर जवाब मांगा था।

गुरुवार को जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने दलील दी कि याचिकाकर्ता परीक्षा में असफल हुए हैं, इसी कारण अब वे प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं। अगर उन्हें परीक्षा पद्धति से आपत्ति थी, तो उन्हें पूर्व में ही आपत्ति दर्ज करानी चाहिए थी, न कि परिणाम आने के बाद। सभी उम्मीदवारों के लिए एक समान नियम लागू किए गए थे और किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं हुआ है।

अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद माना कि याचिकाकर्ता की आपत्तियां समयबद्ध नहीं थीं। मूल्यांकन प्रक्रिया में ऐसा कुछ नहीं पाया गया, जो परीक्षा परिणाम को रद्द करने योग्य हो।

जेपीएससी की 11वीं से 13वीं सिविल सेवा की परीक्षा का विज्ञापन वर्ष 2024 के जनवरी में जारी हुआ था। इसकी प्रारंभिक परीक्षा मार्च, 2024 में ली गई थी, जिसमें 3.50 लाख से भी ज्यादा परीक्षार्थी शामिल हुए थे। इसका रिजल्ट 22 अप्रैल को जारी किया गया था।

रिजल्ट के आधार पर 7,011 परीक्षार्थी मुख्य परीक्षा में शामिल होने के लिए चयनित हुए थे। इसके बाद मुख्य परीक्षा 22 से 24 जून, 2024 तक विभिन्न केंद्रों में हुई थी, जिसका परिणाम 20 मई, 2025 को जारी किया गया।

मुख्य परीक्षा में सफल परीक्षार्थियों के साक्षात्कार की प्रक्रिया पिछले महीने पूरी कर ली गई है। इस परीक्षा के जरिए कुल 342 पदों पर नियुक्ति की जानी है।

Point of View

याचिकाकर्ताओं की आपत्तियां समय पर नहीं उठाई गईं। यह निर्णय न केवल न्यायपालिका की स्वतंत्रता को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है।
NationPress
03/08/2025

Frequently Asked Questions

झारखंड हाईकोर्ट ने किस याचिका को खारिज किया?
झारखंड हाईकोर्ट ने जेपीएससी की 11वीं से 13वीं संयुक्त सिविल सेवा मुख्य परीक्षा के परिणाम को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज किया।
इस याचिका में क्या आपत्तियां उठाई गई थीं?
याचिका में परीक्षा के डिजिटल मूल्यांकन और परीक्षकों के अनुभव पर आपत्तियां उठाई गई थीं।
मुख्य परीक्षा के परिणाम कब जारी हुए थे?
मुख्य परीक्षा का परिणाम 20 मई, 2025 को जारी किया गया।
इस परीक्षा में कितने पदों पर नियुक्ति की जाएगी?
इस परीक्षा के माध्यम से कुल 342 पदों पर नियुक्ति की जाएगी।
क्या याचिकाकर्ता परीक्षा में सफल हुए थे?
नहीं, याचिकाकर्ता परीक्षा में असफल हुए थे, जिसके कारण उन्होंने प्रक्रिया पर सवाल उठाया।