क्या झारखंड में नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में अभियुक्त को मिली 20 साल की सजा?

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क्या झारखंड में नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में अभियुक्त को मिली 20 साल की सजा?

सारांश

रांची की विशेष पॉक्सो कोर्ट ने एक नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में अभियुक्त को 20 वर्ष की सजा सुनाई, जो इस जघन्य अपराध का एक महत्वपूर्ण फैसला है। इस मामले ने समाज में व्यापक चर्चा को जन्म दिया है।

Key Takeaways

  • विशेष पॉक्सो कोर्ट ने 20 वर्ष की कठोर सजा सुनाई।
  • अभियुक्त को पॉक्सो अधिनियम के तहत दोषी पाया गया।
  • पीड़िता के बयान के आधार पर सजा सुनाई गई।
  • गंभीर यौन अपराधों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता।

रांची, 5 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। रांची सिविल कोर्ट की विशेष पॉक्सो कोर्ट ने नाबालिग के साथ कई बार दुष्कर्म के मामले में सोनाहातू थाना क्षेत्र के निवासी नव किशोर सिंह मुंडा, जिसे मनीष किशोर और नाबो के नाम से भी जाना जाता है, को दोषी ठहराते हुए 20 वर्ष की कठोर सजा सुनाई है।

अदालत ने यह निर्णय शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनाया, क्योंकि अभियुक्त पहले से न्यायिक हिरासत में है। आरोपी को पॉक्सो अधिनियम की धारा 4(2) और धारा 6 के तहत दोषी पाया गया। अदालत ने दोनों धाराओं में 20-20 वर्ष की कठोर सजा और 25-25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया।

न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यदि अभियुक्त जुर्माना नहीं भरता है तो उसे प्रत्येक धारा के लिए छह-छह माह का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि सभी सजाएं एक साथ चलेंगी। मामले की प्राथमिकी नवंबर 2023 में सोनाहातू थाना में दर्ज की गई थी।

पीड़िता ने शिकायत में बताया कि अभियुक्त ने लगभग 10 महीने तक उसके साथ कई बार दुष्कर्म किया, और यदि उसने इसकी जानकारी किसी को दी, तो उसे और उसके परिवार को जान से मारने की धमकी दी गई। ट्रायल के दौरान अभियोजन पक्ष ने पीड़िता के बयान को पुष्ट करने के लिए कुल 10 गवाहों को अदालत में पेश किया।

गवाहों के बयानों और उपलब्ध दस्तावेजी साक्ष्यों के आधार पर अदालत ने अभियुक्त को गंभीर अपराध का दोषी ठहराया। फैसले के बाद अदालत ने टिप्पणी की कि नाबालिग के साथ लगातार किए गए यौन अपराध ने उसकी मानसिक और शारीरिक पीड़ा को बढ़ाया है, इसलिए अभियुक्त को कठोर दंड मिलना आवश्यक है।

Point of View

NationPress
05/12/2025

Frequently Asked Questions

क्या अभियुक्त को अपील करने का हक है?
हाँ, अभियुक्त को सजा के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करने का अधिकार है।
क्या अदालत ने पीड़िता को सुरक्षा प्रदान की है?
अदालत ने पीड़िता की सुरक्षा के लिए आवश्यक उपाय करने के निर्देश दिए हैं।
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