क्या जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव ने नया मोड़ लिया है?

Click to start listening
क्या जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव ने नया मोड़ लिया है?

सारांश

जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव के लोकसभा में स्वीकार होने से न्यायिक प्रक्रिया में नया मोड़ आया है। क्या यह घटना भारतीय न्यायपालिका की विश्वसनीयता पर सवाल उठाएगी? जानिए इस महत्वपूर्ण घटनाक्रम के सभी पहलु।

Key Takeaways

  • जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश हुआ।
  • यह संविधान के अनुच्छेद 124(4), 217, और 218 के तहत है।
  • आधिकारिक समिति जांच कर रही है।
  • महाभियोग प्रक्रिया में विशेष बहुमत की आवश्यकता होगी।
  • स्वतंत्र भारत में तीसरा महाभियोग प्रस्ताव।

नई दिल्ली, 12 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारत के न्यायिक इतिहास में एक दुर्लभ और संविधानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण घटना के तहत, मंगलवार को लोकसभा ने औपचारिक रूप से इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इससे संविधान के अनुच्छेद 124(4), 217 एवं 218 के तहत उन्हें पद से हटाने की प्रक्रिया की शुरुआत हो गई है।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन में बताया कि उन्हें 31 जुलाई 2025 को यह प्रस्ताव प्राप्त हुआ था, जिस पर पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और विपक्ष के नेता सहित कुल 146 लोकसभा सदस्यों और 63 राज्यसभा सदस्यों के हस्ताक्षर हैं।

यह मामला मार्च 2025 में सामने आए उस विवाद से संबंधित है, जब दिल्ली स्थित उनके सरकारी आवास पर आग लगने की घटना के दौरान जले हुए नोटों के बंडल बरामद हुए थे। हालांकि, उस समय जस्टिस वर्मा घर पर उपस्थित नहीं थे, लेकिन बाद में एक तीन सदस्यीय आंतरिक न्यायिक जांच ने यह निष्कर्ष निकाला कि वे इस नकदी पर नियंत्रण रखते थे। इस रिपोर्ट के आधार पर भारत के मुख्य न्यायाधीश ने उनकी बर्खास्तगी की सिफारिश की थी।

संसद में प्रस्ताव पढ़ते हुए स्पीकर ओम बिरला ने यह भी घोषणा की कि न्यायाधीश (जांच) अधिनियम, 1968 और संबंधित नियमों के अंतर्गत आरोपों की जांच के लिए एक वैधानिक समिति का गठन किया गया है। इस समिति में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरविंद कुमार, मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मनिंदर मोहन श्रीवास्तव और कर्नाटक हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता वीवी आचार्य शामिल हैं। समिति शीघ्र ही अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी, तब तक प्रस्ताव लंबित रहेगा।

जस्टिस वर्मा ने जांच रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, इसे प्रक्रिया में खामी और संविधानिक अतिक्रमण बताया। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले सप्ताह उनकी याचिका खारिज कर दी। अदालत ने जांच प्रक्रिया को पारदर्शी और संविधानिक बताते हुए उनके इस रुख की आलोचना की कि पहले उन्होंने जांच में भाग लिया और बाद में उसकी वैधता पर सवाल उठाए।

यदि समिति आरोपों को सही मानती है, तो महाभियोग प्रस्ताव को संसद के दोनों सदनों में विशेष बहुमत से पारित करना होगा, अर्थात उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई मत तथा कुल सदस्यों का बहुमत। इसके बाद ही प्रस्ताव राष्ट्रपति के अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा।

स्वतंत्र भारत में यह तीसरा अवसर है जब किसी कार्यरत न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू की गई है।

Point of View

जो न्यायपालिका की पारदर्शिता और जिम्मेदारी को दर्शाती है। यह प्रक्रिया न केवल न्यायिक प्रणाली को मजबूत करती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करती है कि न्यायाधीशों की कार्रवाई पर निगरानी हो। देश की जनता को विश्वास दिलाने के लिए यह आवश्यक है कि न्यायपालिका के भीतर किसी भी प्रकार की अनियमितता को गंभीरता से लिया जाए।
NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

महाभियोग प्रक्रिया क्या है?
महाभियोग प्रक्रिया वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी न्यायाधीश को उसके पद से हटाने के लिए प्रस्ताव पारित किया जाता है।
जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ आरोप क्या हैं?
उन पर आरोप है कि वे एक विवाद के दौरान जले हुए नोटों के बंडल पर नियंत्रण रखते थे।
यह महाभियोग प्रस्ताव कब पेश किया गया?
यह प्रस्ताव मंगलवार को लोकसभा में पेश किया गया।
क्या इस प्रस्ताव को पारित करने के लिए क्या आवश्यक है?
इस प्रस्ताव को संसद के दोनों सदनों में विशेष बहुमत से पारित होना आवश्यक है।
क्या जस्टिस वर्मा ने जांच रिपोर्ट को चुनौती दी है?
हाँ, जस्टिस वर्मा ने जांच रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।