क्या कांटी विधानसभा सीट पर राजद की जीत बरकरार रहेगी या जदयू को मिलेगी सफलता?

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क्या कांटी विधानसभा सीट पर राजद की जीत बरकरार रहेगी या जदयू को मिलेगी सफलता?

सारांश

कांटी विधानसभा क्षेत्र की राजनीतिक पृष्ठभूमि और आगामी चुनाव में उम्मीदवारों की स्थिति पर चर्चा। क्या राजद अपनी जीत की परंपरा बनाए रखेगा, या जदयू इस बार सफलता हासिल करेगा?

Key Takeaways

  • कांटी विधानसभा क्षेत्र में विभिन्न जातियों का प्रभाव है।
  • 2020 के चुनाव में राजद ने जीत हासिल की थी।
  • इस बार 13 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं।
  • स्थानीय समस्याओं में थर्मल पावर प्लांट और सड़कें शामिल हैं।
  • मां छिन्नमस्तिका मंदिर की धार्मिक महत्ता भी है।

पटना, 28 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में स्थित कांटी विधानसभा क्षेत्र एक सामान्य वर्ग की सीट है, जो वैशाली लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। यह विधानसभा क्षेत्र कांटी और मरवां सामुदायिक विकास खंडों को मिलाकर बना है। राजनीतिक और औद्योगिक, दोनों दृष्टियों से कांटी का विशेष महत्व है।

राजनीतिक इतिहास को देखा जाए तो 1951 में स्थापित कांटी विधानसभा क्षेत्र अब तक 17 विधानसभा चुनावों का साक्षी रहा है। शुरुआती दशकों में यहां कांग्रेस पार्टी का वर्चस्व रहा, जिसने 1952 से 1972 के बीच पांच बार जीत दर्ज की। पहले दो चुनावों में कांग्रेस की जीत बेहद मामूली अंतर से हुई थी।

इसके बाद समाजवादी एकता केंद्र, जनता दल, जनता दल (यूनाइटेड) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने दो-दो बार जीत दर्ज की। वहीं लोकतांत्रिक कांग्रेस, जनता पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) और एक निर्दलीय उम्मीदवार ने एक-एक बार जीत हासिल की।

2020 के चुनाव में राजद उम्मीदवार इसराइल मंसूरी ने जदयू के मो. जमाल को हराकर सीट अपने नाम की थी। इस चुनाव में पूर्व मंत्री अजीत कुमार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरे थे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इससे पहले 2015 के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार अशोक कुमार चौधरी ने हम पार्टी के अजीत कुमार को हराया था।

जातीय समीकरण की बात करें तो कांटी विधानसभा में यादव, कुर्मी, राजपूत और कोरी समुदायों की बड़ी आबादी है, जबकि भूमिहार, मुस्लिम और पासवान मतदाता भी यहां के चुनावी परिणामों में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

इस बार कांटी में 13 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। जदयू ने अजित कुमार को उतारा है, जबकि राजद ने इसराइल मंसूरी और जन सुराज पार्टी ने सुदर्शन मिश्रा को अपना प्रत्याशी बनाया है।

इस क्षेत्र की प्रमुख पहचान कांटी थर्मल पावर प्लांट और मां छिन्नमस्तिका मंदिर से है। हालांकि, स्थानीय जनता की प्रमुख समस्याओं में थर्मल पावर प्लांट से निकलने वाली राख (छाई) और ग्रामीण सड़कों के निर्माण की मांग प्रमुख रूप से शामिल है।

कांटी विधानसभा क्षेत्र में स्थित मां छिन्नमस्तिका मंदिर सिद्ध पीठ के रूप में विख्यात है। यहां सालभर भक्तों का आना-जाना लगा रहता है, जबकि शारदीय नवरात्र के अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना और भव्य मेले का आयोजन होता है। यह मंदिर देश का दूसरा और बिहार का एकमात्र छिन्नमस्तिका माता का मंदिर माना जाता है।

इसके अलावा, कांटी विधानसभा के मड़वन क्षेत्र में स्थित राम जानकी मंदिर भी स्थानीय श्रद्धालुओं के बीच अत्यंत प्रसिद्ध है।

Point of View

जहां जातीय समीकरण और स्थानीय मुद्दे निर्णायक भूमिका निभाते हैं। यह क्षेत्र न केवल राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि औद्योगिक दृष्टि से भी इसकी अपनी खास पहचान है। देश के विकास के लिए ऐसे क्षेत्रों की राजनीतिक स्थिरता आवश्यक है।
NationPress
28/10/2025

Frequently Asked Questions

कांटी विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास क्या है?
कांटी विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास 1951 में स्थापित होने से शुरू होता है। यहां विभिन्न पार्टियों ने चुनावों में सफलता पाई है, जिसमें कांग्रेस, राजद और जदयू शामिल हैं।
कांटी में इस बार कौन-कौन से उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं?
इस बार कांटी में 13 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं, जिनमें राजद के इसराइल मंसूरी और जदयू के अजित कुमार शामिल हैं।
कांटी विधानसभा क्षेत्र की प्रमुख समस्याएं क्या हैं?
कांटी विधानसभा क्षेत्र में थर्मल पावर प्लांट से निकलने वाली राख और ग्रामीण सड़कों के निर्माण की मांग प्रमुख समस्याएं हैं।