क्या दिवाली पर कोल्हापुर के अंबा बाई मंदिर में जलता है खास दीया, हर मुराद होती है पूरी?

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क्या दिवाली पर कोल्हापुर के अंबा बाई मंदिर में जलता है खास दीया, हर मुराद होती है पूरी?

सारांश

कोल्हापुर का मां अंबा बाई मंदिर दिवाली पर विशेष महत्व रखता है। यहां मां लक्ष्मी की पूजा के साथ एक खास दीया जलाया जाता है, जो भक्तों की इच्छाओं को पूरा करता है। जानें इस मंदिर की अद्भुत कहानियां और मान्यताएं।

Key Takeaways

  • दिवाली पर मां अंबा बाई मंदिर में विशेष दीया जलता है।
  • मंदिर का इतिहास 1700-1800 साल पुराना है।
  • भक्त आर्थिक समस्याओं के समाधान के लिए यहां आते हैं।
  • साल में तीन दिन सूर्य की किरणें मां पर सीधे पड़ती हैं।
  • मंदिर के खंभे अद्वितीय हैं, जिन्हें कोई गिन नहीं सकता।

नई दिल्ली, 16 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। इस वर्ष 20 अक्टूबर को दिवाली का त्योहार उत्साह के साथ मनाया जाएगा। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए भगवान कुबेर के साथ उनकी विशेष पूजा की जाती है।

क्या आप जानते हैं कि महाराष्ट्र के कोल्हापुर में मां लक्ष्मी का ऐसा अद्भुत मंदिर है, जहां मां लक्ष्मी आर्थिक संकटों से मुक्ति दिलाने के लिए प्रसिद्ध हैं? यह मंदिर काफी प्राचीन है, और इसलिए इसकी मान्यता भी अत्यधिक है।

दिवाली के अवसर पर, इस मंदिर में मां अबां बाई को विशेष रूप से सुंदर सोने के गहनों से सजाया जाता है, और यहाँ की रौनक देखने लायक होती है। भक्त दूर-दूर से मां अबां बाई के दर्शन करने आते हैं और कर्ज तथा पैसों की कमी से मुक्ति पाते हैं। भक्तों का मानना है कि इस मंदिर में मांगी गई हर मुराद मां अंबा पूरी करती हैं और भक्तों की झोली धन-धान्य से भरती है। इसके अलावा, दिवाली की रात को मंदिर के शिखर पर एक दीया

मां अबां बाई मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 1700-1800 साल पहले हुआ था। मंदिर की बनावट भी अद्वितीय है। इसकी दीवारों पर की गई नक्काशी इसे और भी विशेष बनाती है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण चालुक्य वंश के राजा कर्णदेव ने करवाया था, और आक्रमणकारियों के कारण कई बार इसे पुनर्स्थापित किया गया। इस मंदिर की एक अनोखी बात यह है कि यहां साल में तीन दिन ही सूर्य की किरणें मां पर सीधे पड़ती हैं। पहले दिन, सूर्य की किरण मां के मस्तक पर, दूसरे दिन कमर पर, और तीसरे दिन उनके चरणों पर पड़ती है। इस समय मंदिर की सभी रोशनी बंद कर दी जाती है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, कोल्हापुर के मां अंबा के मंदिर का संबंध तिरुपति के भगवान विष्णु के मंदिर से है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु से किसी बात पर नाराज होकर मां अंबा ने कोल्हापुर में अपना स्थान बना लिया था। इसलिए हर साल मां के लिए तिरुपति से शॉल अर्पित की जाती हैं। इस मंदिर के कपाट रात को 9 बजे बंद कर दिए जाते हैं।

मां अबां बाई मंदिर में मौजूद खंभे भी इसे खास बनाते हैं। कहा जाता है कि मंदिर के चारों कोनों पर विशेष तरीके के खंभे हैं, जिन्हें आज तक कोई भी गिन नहीं पाया। माना जाता है कि जब भी कोई इन खंभों की गिनती करता है, तो उसके साथ कुछ न कुछ बुरा हो जाता है।

Point of View

बल्कि सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक है।
NationPress
16/10/2025

Frequently Asked Questions

मां अंबा बाई मंदिर में क्यों जाते हैं लोग?
भक्त मां अंबा बाई से आर्थिक समस्याओं से मुक्ति और मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए मंदिर में जाते हैं।
दिवाली पर इस मंदिर में क्या खास होता है?
दिवाली की रात को मंदिर में एक विशेष दीया जलाया जाता है, जो अगली अमावस्या तक जलता है।
क्या मां अंबा बाई का मंदिर ऐतिहासिक है?
जी हां, मां अंबा बाई मंदिर का इतिहास 1700-1800 साल पुराना है।
क्या इस मंदिर में सूर्य की रोशनी सीधे पड़ती है?
इस मंदिर में साल में तीन दिन ही सूर्य की रोशनी मां पर सीधे पड़ती है।
मंदिर के खंभों का क्या महत्व है?
मंदिर के खंभे विशेष रूप से बनाए गए हैं, जिन्हें कोई भी गिन नहीं सकता है।