क्या 1857 से 51 साल पहले वेल्लोर में अंग्रेजों की सत्ता डगमगाई थी?

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क्या 1857 से 51 साल पहले वेल्लोर में अंग्रेजों की सत्ता डगमगाई थी?

सारांश

क्या आप जानते हैं कि 1857 की क्रांति से पहले भी भारतीय सिपाहियों ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ विद्रोह किया था? यह घटना 1806 में वेल्लोर में घटी थी, जब सिपाहियों ने अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी। इस विद्रोह ने अंग्रेजों के वर्चस्व को हिला दिया था। जानें इस ऐतिहासिक घटना के बारे में।

Key Takeaways

  • वेल्लोर विद्रोह 1806 में हुआ था, जो 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से पहले की घटना है।
  • सिपाहियों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ पहली बार खुला विद्रोह किया।
  • इस विद्रोह ने अंग्रेजों के वर्चस्व को हिला दिया था।
  • लगभग 800 भारतीय सिपाहियों ने इस विद्रोह में भाग लिया।
  • वेल्लोर किला आज भी इस संघर्ष का गवाह है।

नई दिल्ली, 9 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। इतिहास की किताबों में 1857 की क्रांति को भले ही भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम माना जाता हो, लेकिन इससे 51 वर्ष पूर्व ही देश की भूमि पर आजादी की पहली चिंगारी भड़क चुकी थी। यह ऐतिहासिक क्षण था 10 जुलाई 1806 का, जब तमिलनाडु के वेल्लोर किले में भारतीय सिपाहियों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह किया। यह विद्रोह इतना व्यापक और प्रभावशाली था कि इसने फिरंगियों को हिलाकर रख दिया।

वेल्लोर किला, जो सोलहवीं सदी में विजयनगर साम्राज्य द्वारा निर्मित हुआ था, 19वीं सदी में मद्रास प्रेसीडेंसी की प्रमुख सैन्य छावनी बन गया। यहां, 10 जुलाई 1806 को सैकड़ों भारतीय सिपाहियों ने अंग्रेजों के अन्याय के खिलाफ बगावत की। यह भारतीय इतिहास में पहली बार था, जब ब्रिटिश सेना के भीतर से खुला विद्रोह हुआ।

विद्रोह की जड़ें उस आदेश में थीं, जो अंग्रेजों ने 1805 में जारी किया था। इसमें सिपाहियों को नई ड्रेस पहनने का फरमान जारी किया गया, जिसमें धार्मिक प्रतीकों की अनुमति नहीं थी, और दाढ़ी-मूंछ रखने पर भी पाबंदी थी। हिन्दू और मुस्लिम सिपाहियों को अपनी पगड़ियां उतारनी पड़ीं, जिससे उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुईं। इसके साथ ही, एक विशेष टोपी पहनने का आदेश दिया गया, जिसके बारे में कहा गया कि वह गाय और सुअर की खाल से बनी है, जो कि हिन्दू और मुस्लिम दोनों के लिए अपमानजनक था।

जब सिपाहियों ने इन बदलावों का विरोध किया, तो उन्हें कठोर दंड दिया गया। कुछ को कोड़े मारे गए और कुछ को दूरस्थ किलों में भेज दिया गया, जिससे विद्रोह की आग भड़क उठी।

9 जुलाई की रात, जब सैनिकों को परेड के लिए किले में रुकने को कहा गया, तब विद्रोह की योजना बन चुकी थी। आधी रात के बाद सिपाही उठे और अंग्रेजों पर हमला कर दिया। किले के कमांडर सहित कई उच्चाधिकारियों की हत्या कर दी गई। हथियारों के भंडार पर कब्जा करने के बाद उन्होंने अंग्रेजी झंडा उतारकर टीपू सुल्तान का ध्वज फहरा दिया और टीपू सुल्तान के पुत्र को राजा घोषित कर दिया।

मेजर कूप्स नामक एक अंग्रेज अधिकारी इस विद्रोह से बच निकला और तुरंत आर्कोट जाकर सहायता मांगी। महज नौ घंटे में अंग्रेजी सेना वेल्लोर पहुंच गई और किले को घेर लिया। प्रतिशोध में लगभग 100 भारतीय सैनिकों को दीवार के सामने खड़ा कर गोली मार दी गई। यह नरसंहार इतना भयानक था कि इसकी गूंज इंग्लैंड तक पहुंची और वहां की सत्ता भी हिल गई।

विद्रोह के बाद ब्रिटिश सरकार ने विवादास्पद ड्रेस कोड और नए नियमों को रद्द कर दिया। वेल्लोर की सभी भारतीय सैन्य टुकड़ियों को भंग कर दिया गया और पूरे क्षेत्र में सैन्य पुनर्गठन किया गया।

हालांकि वेल्लोर विद्रोह लंबे समय तक इतिहास की किताबों में दबा रहा, लेकिन यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की पहली सैन्य बगावत थी। लगभग 800 भारतीय सिपाहियों ने इसमें भाग लिया और अंग्रेजों के प्रभुत्व को खुली चुनौती दी। यह विद्रोह साबित करता है कि 1857 से पहले भी भारत में अंग्रेजी शासन के खिलाफ विद्रोह की ज्वाला धधक रही थी। वेल्लोर किला आज भी इस संघर्ष का गवाह है, जहां पहली बार ब्रिटिश झंडा उतारकर स्वतंत्रता का ध्वज लहराया गया था।

Point of View

हमें यह स्वीकार करना होगा कि भारतीय इतिहास में वेल्लोर विद्रोह ने स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखी। यह घटना न केवल ब्रिटिश शासन के खिलाफ नाराज़गी को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि भारतीय सिपाही अपने अधिकारों के लिए कितने दृढ़ थे।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

वेल्लोर विद्रोह कब हुआ था?
वेल्लोर विद्रोह 10 जुलाई 1806 को हुआ था।
इस विद्रोह के कारण क्या थे?
इस विद्रोह के कारण ब्रिटिश सेना द्वारा लागू किए गए नए ड्रेस कोड और धार्मिक प्रतीकों पर पाबंदी थी।
क्या यह विद्रोह सफल हुआ था?
हालांकि यह विद्रोह जल्दी ही दबा दिया गया, लेकिन यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की पहली सैन्य बगावत थी।