क्या 'अपराजिता बिल' से लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश हो रही है?

सारांश
Key Takeaways
- अपराजिता बिल को लेकर सियासत तेज हो गई है।
- कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने सरकार पर आरोप लगाए हैं।
- सरकार के संरक्षण में अपराधियों का हौसला बढ़ा है।
- मौजूदा कानूनों का प्रभावी कार्यान्वयन आवश्यक है।
- बंगाल में अपराधियों पर नियंत्रण पाने के लिए सही नीतियों की जरूरत है।
मुर्शिदाबाद, 26 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने 'अपराजिता बिल' को राज्य सरकार के पास विचार के लिए वापस भेज दिया है। इस विषय पर सियासत गरमा गई है। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने 'अपराजिता बिल' को लेकर ममता बनर्जी सरकार पर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि 'अपराजिता बिल' के माध्यम से लोगों का ध्यान भटकाने का प्रयास किया जा रहा है।
अधीर रंजन चौधरी ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि पश्चिम बंगाल में दरिंदों का राज कायम है। इस समय 'अपराजिता बिल' लाकर आम जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश की जा रही है। इस बिल से अपराधियों को सजा मिलने की कोई आशा नहीं है, क्योंकि जब सरकार खुद अपराधियों को बचाना चाहती है, तो फिर कौन उन्हें सजा दिलवाएगा? बंगाल में 'अपराजिता बिल' या कोई और बिल, नाम बदलने से कोई फर्क नहीं पड़ता। सरकार के संरक्षण में सभी अपराधी फल-फूल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मेरा सवाल है कि क्या भारत में मौजूदा कानून के तहत अपराधियों को फांसी की सजा देने में कोई कमी है? कुछ दरिंदों ने निर्भया कांड को अंजाम दिया था, उसके बाद कांग्रेस के शासन में कानून पारित हुए और उस कानून के अनुसार चार दरिंदों को फांसी की सजा दी गई है।
उन्होंने कहा कि यदि बंगाल सरकार की नीयत सही होती तो आरजीकर कांड के बाद नए कानून बनाने की आवश्यकता नहीं पड़ती, क्योंकि मौजूदा कानून पर्याप्त हैं। पश्चिम बंगाल में जांच-पड़ताल नहीं होती, सरकार अपराधियों को बचाना चाहती है। यहां पर अपराधियों को सरकार की तरफ से संरक्षण दिया जाता रहा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के वादे के बावजूद अपराधियों का हौसला बढ़ा हुआ है।