क्या भाजपा पीडीए की बढ़ती ताकत का सामना कर पाएगी? : सपा सांसद इकरा हसन

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क्या भाजपा पीडीए की बढ़ती ताकत का सामना कर पाएगी? : सपा सांसद इकरा हसन

सारांश

उत्तर प्रदेश में जातीय रैलियों पर रोक के बाद सपा सांसद इकरा हसन ने भाजपा पर तानाशाही का आरोप लगाया है। क्या भाजपा पीडीए की बढ़ती ताकत का सामना कर पाएगी? जानिए इस मुद्दे पर सपा की क्या है राय।

Key Takeaways

  • जातीय रैलियों पर रोक ने राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया है।
  • इकरा हसन ने इसे तानाशाही का नया फरमान बताया है।
  • पीडीए उत्तर प्रदेश में तेजी से बढ़ रहा है।
  • सरकार की बौखलाहट स्पष्ट है।
  • जनता की भावनाओं को समझना जरूरी है।

शामली, २४ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश में जातीय स्तर पर रैलियों, वाहनों पर जाति नाम अंकित करने और गांव-शहरों के सीमाओं पर जातिगत साइन बोर्ड लगाने पर लगाई गई रोक ने राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश पर योगी सरकार ने २१ सितंबर को एक शासनादेश के माध्यम से इन पर पूर्ण रोक लगाने का निर्णय लिया, जिसे सार्वजनिक व्यवस्था और राष्ट्रीय एकता के लिए आवश्यक बताया गया है। लेकिन विपक्ष इसे सरकार की बौखलाहट का परिणाम मानता है। कैराना से समाजवादी पार्टी (सपा) की सांसद इकरा हसन ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे 'तानाशाही का नया फरमान' बताया।

इकरा हसन ने शामली में राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए कहा कि भाजपा अपनी सत्ता खोने के डर से पीडीए (पीपुल्स डेमोक्रेटिक अलायंस) की बढ़ती ताकत का समाधान खोजने में लगी है। उन्होंने कहा, "यह एक नया फरमान है, जिसे तानाशाही के तहत प्रदेश की जनता पर थोपने का प्रयास किया जा रहा है। यह स्पष्ट है कि भाजपा बौखला गई है। वे इस बात से चिंतित हैं कि कोई भी वर्ग या समाज उनसे खुश नहीं है।"

उन्होंने शासनादेश को देश की सांस्कृतिक विविधता और एकता के खिलाफ बताया और कहा, "हमारा देश विविधता में एकता के लिए जाना जाता है। अगर ऐसे फरमान जारी होते रहेंगे, तो बहुत से लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचेगी। हम इसका विरोध करते हैं। हमें विभिन्न समाजों, भाषाओं और धार्मिक समूहों को एकजुट करने का प्रयास करना चाहिए। लेकिन यह सरकार भावनाओं को दबाने का काम कर रही है, जो देश की संस्कृति के खिलाफ है। यह हमें बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है।"

इकरा हसन ने आगे कहा, "सरकार जानबूझकर वातावरण को खराब करने वाली चीजें ला रही है, जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ेगा। यह सरकार की बौखलाहट है। लोग समझ चुके हैं कि ये डर गए हैं। उनकी राजनीति खत्म हो रही है। लोग उनकी काट वाली राजनीति से ऊपर उठने वाले हैं। भारत का स्तर कहां से कहां पहुँच गया है। पीडीए उत्तर प्रदेश में तेजी से बढ़ रहा है, जिसका परिणाम २०२४ के लोकसभा चुनाव में दिखाई देगा। हर वर्ग, हर पीड़ित वर्ग पीडीए से जुड़ रहा है। भाजपा को सीखना चाहिए, लेकिन इस तरह की काट से कुछ नहीं होगा। जनता समझ चुकी है, उन्हें और मुंह की खानी पड़ेगी।

Point of View

मैं मानता हूँ कि यह मामला केवल राजनीतिक नहीं है, बल्कि यह देश की सांस्कृतिक विविधता और सामाजिक समरसता को प्रभावित करता है। सभी वर्गों की भावनाओं को समझना और उनकी आवाज को सुनना आवश्यक है।
NationPress
24/09/2025

Frequently Asked Questions

उत्तर प्रदेश में जातीय रैलियों पर रोक का क्या कारण है?
इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर योगी सरकार ने इन रैलियों पर रोक लगाई है, जिसे सार्वजनिक व्यवस्था और राष्ट्रीय एकता के लिए आवश्यक माना गया है।
इकरा हसन का इस मुद्दे पर क्या कहना है?
इकरा हसन ने इसे तानाशाही का नया फरमान बताया है और कहा है कि भाजपा अपनी सत्ता खोने के डर से ऐसा कर रही है।
पीडीए का उत्तर प्रदेश में क्या महत्व है?
पीडीए उत्तर प्रदेश में तेजी से बढ़ रहा है और यह विभिन्न वर्गों के लोगों को एकजुट कर रहा है, जो आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।