क्या दुनियाभर में संघर्ष जारी हैं? : सेनाध्यक्ष उपेंद्र द्विवेदी
सारांश
Key Takeaways
- भारतीय सेना की तीन-चरणीय योजना में महत्वपूर्ण बदलाव शामिल हैं।
- चाणक्य डिफेंस डायलॉग में वैश्विक संघर्षों पर चर्चा की गई।
- प्रधानमंत्री का 5-एस दृष्टिकोण भारत की रणनीति में महत्वपूर्ण है।
- आत्मनिर्भरता का लक्ष्य भारत की रक्षा क्षमताओं को सुदृढ़ करेगा।
- भारतीय सेना संशोधन और नवोन्मेष को प्राथमिकता दे रही है।
नई दिल्ली, 27 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। नई दिल्ली में आयोजित चाणक्य डिफेंस डायलॉग में भारतीय सेना के प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भारतीय सेना की भावी रणनीति, सैन्य परिवर्तनों और राष्ट्रीय सुरक्षा दृष्टिकोण का विस्तृत खाका प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि विश्व अत्यधिक अस्थिर, बहुध्रुवीय और संघर्षग्रस्त होता जा रहा है।
सेनाध्यक्ष ने बताया कि वर्तमान में दुनिया के 50 से अधिक क्षेत्रों में संघर्ष जारी हैं, जिससे वैश्विक असुरक्षा लगातार बढ़ रही है। इस संदर्भ में उन्होंने यह भी बताया कि तेजी से बदलती वैश्विक परिस्थितियों में भारतीय सेना को किस दिशा में रूपांतरित होना चाहिए।
जनरल द्विवेदी ने प्रधानमंत्री के 5-एस दृष्टिकोण का उल्लेख किया, जो सम्मान, संवाद, सहयोग, समृद्धि और सुरक्षा पर आधारित है। उन्होंने बताया कि भारत अमृतकाल से विजन 2047 की ओर बढ़ रहा है, जिसका विषय है ‘रिफार्म टू ट्रांसफॉर्म – सशक्त, सुरक्षित और विकसित भारत’।
उन्होंने बताया कि सेना ने आने वाले वर्षों के लिए तीन-चरणीय योजना तैयार की है। चरण-1 के अंतर्गत वर्ष 2032 तक परिवर्तन के दशक के अंतर्गत तीव्र बदलाव की रूपरेखा तय है। चरण-2 में 2037 तक पहले चरण में हासिल उपलब्धियों का विस्तार एवं स्थिरीकरण किया जाएगा। चरण-3 में 2047 तक पूर्णत: एकीकृत, बहु-क्षेत्रीय, आधुनिक और तैयार सेना का निर्माण सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2025 को रक्षा मंत्रालय ने सुधार वर्ष घोषित किया है, जिसका प्रभाव ओपरेशन ‘सिंदूर’ जैसी उपलब्धियों में दिखाई दे रहा है।
सेना प्रमुख ने चार प्रमुख स्प्रिंगबोर्ड या प्रेरक आधार बताए। इनमें आत्मनिर्भरता यानी स्वदेशीकरण से सशक्तिकरण शामिल है। रक्षा निर्माण, अंतरिक्ष तकनीक और आधुनिक सैन्य प्रणालियों में भारत तेजी से आगे बढ़ा है। लेकिन अभी भी व्यापक क्षमता निर्माण की आवश्यकता है। अनुसंधान यानी त्वरित नवोन्मेष को भी प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
जनरल द्विवेदी ने बताया कि आइडेक्स और ‘अदिति’ जैसे कार्यक्रम विचार से प्रोटोटाइप तक तेजी ला रहे हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर, क्वांटम, अंतरिक्ष और अत्याधुनिक सामग्री के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर बदलाव की जरूरत है। तीसरा अनुकूलन और रक्षा ढांचे में सुधार है। राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता लक्ष्यों के अनुरूप सैन्य ढांचे को तेजी से पुनर्गठित किया जा रहा है।
सेना प्रमुख ने यह भी बताया कि इस संवाद से सेना को ठोस सुझाव मिलने की अपेक्षा है। चौथा आधार एकीकरण है, जिसमें सैन्य नागरिक समन्वय शामिल है। युद्धक क्षमता का विकास बहु-एजेंसी और बहु-क्षेत्रीय प्रयास भी इसका हिस्सा है। आर्मी चीफ ने बताया कि सेना अपने परीक्षण क्षेत्र खोल रही है, स्टार्ट-अप को सहयोग दे रही है और राष्ट्रीय तकनीकी मिशनों से जुड़ रही है। वसुधैव कुटुम्बकम की भावना के साथ वैश्विक सहयोग को भी आगे बढ़ाया जा रहा है।
जनरल द्विवेदी ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि चाणक्य डिफेंस डायलॉग में उपस्थित सैन्य विशेषज्ञ, विद्वान और नीति निर्माता भारतीय सेना के परिवर्तन को नई दिशा देंगे। सत्र की शुरुआत में उन्होंने राष्ट्रपति, राजनयिक समुदाय, सेनाध्यक्षों, विशेषज्ञों, मीडिया प्रतिनिधियों और विद्यार्थियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि चाणक्य डिफेंस डायलॉग की स्थापना वर्ष 2023 में हुई थी, तब तत्कालीन सेना प्रमुख ने भारतीय सेना के लिए ‘परिवर्तन का दशक’ घोषित किया था। इसके बाद यह मंच लगातार विस्तृत, प्रभावी और वैश्विक रणनीतिक विमर्श का प्रमुख केंद्र बन चुका है।