क्या कांग्रेस और टीएमसी ने जगदीप धनखड़ को विदाई नहीं दी? यह संविधान का अपमान है!

सारांश
Key Takeaways
- जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर उठे सवाल
- विदाई भाषण नहीं देने का मुद्दा
- संविधान और किसानों का अपमान
- राजनीतिक दबाव की चर्चा
- टीएमसी और कांग्रेस की प्रतिक्रिया
नई दिल्ली, 23 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। संसद का मानसून सत्र चल रहा है और इस बीच विपक्षी दल जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर सरकार पर तीखा हमला कर रहे हैं। कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने धनखड़ को विदाई नहीं देने के मुद्दे पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि उन्हें विदाई भाषण भी नहीं दिया गया। यह किसानों और भारत के संविधान का अपमान है।
जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफे पर प्रमोद तिवारी ने कहा, "भारत के उपराष्ट्रपति के पद से उनका (जगदीप धनखड़) इस्तीफा स्वेच्छा से नहीं हुआ है। हम सभी लोग बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में मौजूद थे और उस दौरान हमने देखा है कि वह (जगदीप धनखड़) स्वस्थ और प्रसन्न थे। हालांकि, दो घंटे के अंदर वह अस्वस्थ नहीं हो सकते? ऐसा लगता है कि उनसे इस्तीफा देने के लिए कहा गया था। उपराष्ट्रपति पद का अपमान किया गया। इतना ही नहीं, उन्हें विदाई भाषण भी नहीं दिया गया। यह किसानों और भारत के संविधान का अपमान है।"
जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा, "जगदीप धनखड़ को प्रधानमंत्री और अन्य कैबिनेट मंत्रियों ने इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया। उन्हें कहा गया कि अगर उन्होंने उस दिन रात 9 बजे से पहले इस्तीफा नहीं दिया, तो उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया जाएगा। यह प्रधानमंत्री और अन्य कैबिनेट मंत्रियों द्वारा दबाव बनाने की रणनीति है। सुनने में आ रहा है कि अब राजनाथ सिंह को उपराष्ट्रपति बनाया जाएगा।"
जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने पर कांग्रेस सांसद प्रणीति शिंदे ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "उपराष्ट्रपति का इस्तीफा बेहद संदिग्ध लग रहा है। मुझे लगता है कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ लाए गए महाभियोग प्रस्ताव को लेकर कुछ विवाद हुआ है। विपक्ष की ओर से महाभियोग प्रस्ताव को उन्होंने स्वीकार किया और शायद इस बात से सरकार नाराज हो गई। ऐसा पहली बार हुआ है कि उन्हें विदाई भाषण देने का भी मौका नहीं मिला।"