क्या महाराष्ट्र में मराठी के नाम पर गुंडागर्दी बर्दाश्त की जाएगी?

सारांश
Key Takeaways
- राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे का एक साथ आना महत्वपूर्ण है।
- गुंडागर्दी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
- महायुति सरकार को कोई खतरा नहीं।
- महाराष्ट्र में मराठी भाषा का गर्व है।
- दलितों के साथ भेदभाव का मुद्दा गंभीरता से लिया जा रहा है।
नई दिल्ली, 6 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के एक साथ आने से महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। आशंका जताई जा रही है कि दोनों भाई बीएमसी चुनाव में एक साथ आ सकते हैं। इस पर केंद्रीय राज्य मंत्री रामदास आठवले ने कहा कि इससे महायुति सरकार को कोई दिक्कत नहीं होगी। लेकिन, राज ठाकरे और उनकी पार्टी (मनसे) को यह समझना होगा कि मराठी भाषा के नाम पर उनके कार्यकर्ताओं द्वारा जो गुंडागर्दी हो रही है, उसे अब और बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में रामदास आठवले ने कहा कि मैं सीएम देवेंद्र फडणवीस से निवेदन करूंगा कि वे गुंडागर्दी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। हमें मराठी से प्यार है और महाराष्ट्र में मराठी बोली जानी चाहिए। लेकिन, यह क्या नियम है कि अगर आपको हिंदी आती है तो आपको पीट दिया जाएगा, वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर किया जाएगा। मैं राज ठाकरे से कहना चाहता हूं कि गुंडागर्दी मत कीजिए।
उन्होंने कहा कि सभी राज्यों में वहां की क्षेत्रीय भाषा होती है। सभी को अपनी भाषा पर गर्व होता है। मुझे भी मराठी भाषा पर गर्व है। बीएमसी चुनाव को लेकर उन्होंने कहा कि दोनों भाइयों के साथ न आने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। महायुति की सरकार ही चुनाव जीतेगी। यह अच्छी बात है कि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक साथ आए। लेकिन, सवाल यह है कि कितने दिनों तक साथ रहते हैं। मराठी को लेकर जो विवाद चल रहा है, वह विवाद सरकार ने सुलझा लिया है।
उन्होंने मनसे के कार्यकर्ताओं को चेतावनी दी कि जैसे वे करते हैं, वैसा ही उनके साथ भी हो सकता है। उन्होंने उद्धव ठाकरे से सवाल किया कि बालासाहेब ठाकरे ने विभिन्न क्षेत्रों के लिए विंग बनाई थी, और अब मनसे के कार्यकर्ता हिंदुओं पर ही हमला कर रहे हैं। हमलों का खात्मा होना चाहिए, राज ठाकरे की तरफ से गुंडागर्दी रुकनी चाहिए।
आठवले ने कहा कि उनका मंत्रालय दलितों के साथ भेदभाव से जुड़ी शिकायतों को पूरी गंभीरता से ले रहा है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कई जगहों पर आरक्षण नीति लागू की जाती है। बैंगलोर विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर की शिकायत के मामले में, हर श्रेणी में अनुसूचित जातियों के लिए बैकलॉग और 15 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित किया जाना चाहिए। आठवले ने कहा कि अक्सर, वहां के कुलपति और रजिस्ट्रार दलितों के साथ भेदभाव करते हैं। हमारा मंत्रालय ऐसी शिकायतों को गंभीरता से लेता है और शिक्षक की मदद की जाएगी।