क्या नई पीढ़ी को सरदार पटेल के बारे में जानना आवश्यक है?: जय पटेल
सारांश
Key Takeaways
- सरदार पटेल की शिक्षा का महत्व समझें।
- जय पटेल का लेखन एक नई पीढ़ी को प्रेरित करेगा।
- पुस्तक का शीर्षक 'बैरिस्टर मिस्टर पटेल' है।
- शोध और अध्ययन के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करें।
- किशोर पाठकों के लिए लेखन की विशेष विधि अपनाई गई है।
अहमदाबाद, १३ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय मूल के अमेरिकी लेखक और निवेशक जय पटेल ने अपनी पुस्तक 'बैरिस्टर मिस्टर पटेल' का विमोचन किया, जिसमें सरदार वल्लभभाई पटेल के वकील के रूप में शुरुआती वर्षों और राष्ट्र-निर्माता बनने की उनकी यात्रा का वर्णन है।
जय पटेल ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में इस पुस्तक के संबंध में बात करते हुए कहा, “मैंने यह पुस्तक इसलिए लिखी, क्योंकि इसका मुख्य उद्देश्य नई पीढ़ी को यह बताना था कि हमारे स्वतंत्रता सेनानी ने भारत की स्वतंत्रता के लिए क्या किया।”
उन्होंने अपने बारे में बताते हुए कहा, “मेरा जन्म अहमदाबाद में हुआ था, लेकिन पिछले कई सालों से न्यूयॉर्क में रह रहा हूं। जब मैं न्यूयॉर्क से लंदन गया था तो मैं उस वक्त श्यामजी वर्मा पर अध्ययन कर रहा था। उस समय मुझे पता लगा कि सरदार पटेल भी यहाँ रहते थे। इसके बाद मुझे लगा कि मुझे इस पर शोध करना चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा, “मेरी इस किताब को लिखने का मकसद यह है कि नई पीढ़ी को समझ में आए कि फ्रीडम फाइटर ने देश की आजादी के लिए क्या-क्या किया? दूसरी बात, मेरी इस किताब को लिखने का मुख्य उद्देश्य यह था कि लोगों को उनकी शिक्षा के बारे में पता चले, क्योंकि सरदार पटेल के संबंध में जितनी भी किताबें लिखी गई हैं, उन सभी में सिर्फ यही बताया गया है कि वो एक लौह पुरुष थे, उन्होंने अलग-अलग रियासतों को संयुक्त करके एक भारत राष्ट्र का निर्माण करने की दिशा में अमूल्य योगदान दिया, लेकिन अफसोस किसी ने भी आज तक उनकी शिक्षा पर ध्यान नहीं दिया। मैंने यह फैसला किया कि मैं अपनी इस किताब में सरदार पटेल की शिक्षा पर ध्यान दूंगा। मैं बताऊंगा कि वो कितने पढ़े लिखे थे। वो अधिवक्ता भी थे, इसलिए मेरी किताब के शीर्षक का नाम 'बैरिस्टर मिस्टर पटेल' है।”
उन्होंने कहा कि इस किताब को लिखने के लिए मैंने बहुत शोध किया था। बहुत शोध के बाद ही मैंने यह किताब लिखने का फैसला किया। इस किताब को लिखने के लिए मैंने बहुत किताबें पढ़ीं। इसके अलावा, मेरे सह-लेखक अभिषेक हैं, जिन्होंने बहुत अच्छी फिल्म भी बनाई है। मेरा भी यही मकसद है कि आने वाले दिनों में इस पर कोई किताब लिखे।
उन्होंने कहा कि मैंने अपनी इस किताब की संरचना को किशोरों की मानसिकता को ध्यान में रखते हुए लिखा है; जिस तरह से किशोर किताबें पढ़ते हैं, उसका विशेष ध्यान रखा गया है, क्योंकि मेरी किताब के एडिटर की उम्र ही १९ वर्ष है। मैंने यह किताब सिर्फ हिंदुस्तान के लिए नहीं, बल्कि पूरे विश्व को ध्यान में रखते हुए लिखी है।
उन्होंने कहा कि यूनाइटेड स्टेट्स के ५० स्टेट्स में जहां पर कई गणमान्यों की पुस्तकें होती हैं, जिसमें महात्मा गांधी और नेल्सन मंडेला का नाम प्रमुखता से शामिल है।