क्या केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव लोकसभा में वायु प्रदूषण पर उठे सवालों का जवाब देंगे?
सारांश
Key Takeaways
- वायु प्रदूषण पर चर्चा होगी।
- केंद्रीय पर्यावरण मंत्री का महत्वपूर्ण बयान।
- सरकार के उपाय और रणनीतियाँ।
- विपक्ष की चिंताएँ और सवाल।
- दिल्ली सरकार के नए नियम।
नई दिल्ली, 18 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली और इसके आस-पास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण की बढ़ती समस्या पर गुरुवार को लोकसभा में गहन चर्चा की जाएगी। संसद में विपक्षी सदस्यों ने खराब होती हवा की गुणवत्ता और वर्तमान उपायों के प्रभावों को लेकर चिंता व्यक्त की है।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव शाम 5 बजे लोकसभा में प्रदूषण से संबंधित सवालों, आपत्तियों और सुझावों का उत्तर देंगे। वे इस मुद्दे पर सरकार की बढ़ती आलोचनाओं का सामना करेंगे और प्रदूषण के खतरनाक स्तर से निपटने की सरकार की रणनीति के बारे में जानकारी देंगे।
इससे पहले कई सांसदों ने केंद्र सरकार से गंभीर वायु प्रदूषण के प्रति उसकी तैयारी और दीर्घकालिक दृष्टिकोण के संबंध में प्रश्न उठाए थे।
डीएमके के राज्यसभा सदस्य डॉ. कनिमोझी एनवीएन सोमू ने पूछा था कि क्या सरकार उन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर एयर प्यूरीफायर लगाने के लिए फंड उपलब्ध कराएगी, जहां प्रदूषण बहुत अधिक है।
संसद में बहस के दौरान भूपेंद्र यादव ने प्रदूषण की गंभीरता को मान्यता दी और कहा कि वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या है। उन्होंने जन जागरूकता और नियमों को लागू करने के महत्व पर जोर दिया और कहा कि नागरिकों को एयर क्वालिटी इंडेक्स रीडिंग और इसके स्वास्थ्य पर प्रभाव के बारे में जानना चाहिए।
पर्यावरण मंत्री ने कहा कि सरकार जागरूकता बढ़ाने और नियमों के कार्यान्वयन पर काम कर रही है। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत देशभर के 130 शहरों में हवा की गुणवत्ता में सुधार की पहल की जा रही है।
भूपेंद्र यादव ने संसद को बताया कि हानिकारक औद्योगिक उत्सर्जन को रोकने और नियमों के कार्यान्वयन में कमियों को दूर करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। साथ ही, शहरी स्थानीय निकायों की जमीनी स्तर पर नियमों का पालन सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका है।
उन्होंने बताया कि 20,000 वर्ग मीटर से अधिक के क्षेत्रों वाली परियोजनाओं के लिए एंटी-स्मॉग गन का उपयोग अनिवार्य कर दिया गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार को निर्माण और विध्वंस कचरे के निपटान के लिए निर्धारित जोन बनाने की सलाह दी है ताकि बिना रोक-टोक के कचरा फेंकने और धूल प्रदूषण को रोका जा सके।
राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए दिल्ली सरकार के नए उपायों के तहत 'नो पीयूसी, नो फ्यूल' नियम गुरुवार से लागू होगा। इसके अलावा, केवल बीएस-6 कंप्लायंट वाहन जो दिल्ली के बाहर रजिस्टर्ड हैं, उन्हें ही शहर में प्रवेश की अनुमति होगी, जबकि कंस्ट्रक्शन सामग्री ले जाने वाले ट्रकों पर बैन जारी रहेगा। दिल्ली में ग्रैपनियमों के तहत कंस्ट्रक्शन गतिविधियों पर रोक है और नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का वादा किया गया है।