क्या भारतीय उच्चायोग ने लंदन में गांधी की प्रतिमा से हुई तोड़फोड़ को शर्मनाक बताया?

सारांश
Key Takeaways
- महात्मा गांधी की प्रतिमा पर हमला एक गंभीर मामला है।
- भारतीय उच्चायोग ने तत्काल जांच की मांग की है।
- अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस से पहले इस घटना का होना चिंताजनक है।
- प्रतिमा की पुनर्स्थापना के लिए अधिकारियों के साथ समन्वय किया जा रहा है।
- यह घटना समाज में असहिष्णुता को दर्शाती है।
नई दिल्ली, 30 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। लंदन के टैविस्टॉक स्क्वायर में स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा में हुई तोड़फोड़ के मामले में भारतीय उच्चायोग ने लंदन हाई कमीशन से जांच की मांग की है। यह घटना 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस से पहले हुई। भारतीय उच्चायोग ने इस कृत्य को शर्मनाक बताते हुए आक्रोश व्यक्त किया और स्थानीय अधिकारियों को इस मामले की जानकारी दी गई, जिसके बाद जांच की प्रक्रिया आरंभ हो गई।
भारतीय उच्चायोग ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा, "भारत उच्चायोग लंदन के टैविस्टॉक स्क्वायर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के साथ हुई तोड़फोड़ पर गहरा दुख व्यक्त करता है और इसकी कड़ी निंदा करता है। यह केवल तोड़फोड़ नहीं है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस से तीन दिन पहले अहिंसा के विचार और महात्मा गांधी की विरासत पर एक हिंसक हमला है।"
पोस्ट में यह भी कहा गया कि लंदन हाई कमीशन ने तत्काल कार्रवाई के लिए स्थानीय अधिकारियों के साथ इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया है। हमारी टीम पहले से ही घटनास्थल पर मौजूद है और प्रतिमा को उसके मूल स्वरूप में पुनर्स्थापित करने के लिए अधिकारियों के साथ समन्वय कर रही है।
संयुक्त राष्ट्र ने गांधी जयंती को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया है, जिस कारण यहां हर साल गांधी जयंती पर महात्मा गांधी की प्रतिमा को पुष्प अर्पित किए जाते हैं।
इसके अलावा, महात्मा गांधी की पसंद के गाने और भजन गाए जाते हैं। ऐसे में महात्मा गांधी की प्रतिमा के साथ तोड़फोड़ होना चिंता का विषय है।
इंडिया लीग की मदद से 1968 में कांस्य की बनी इस प्रतिमा को स्थापित किया गया था। यह प्रतिमा महात्मा गांधी के पुराने दिनों की याद दिलाती है, जब वह लंदन के कॉलेज में पढ़ा करते थे।
-- राष्ट्र प्रेस
कनक/वीसी