क्या कैबिनेट ने लखनऊ मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के विस्तार को मंजूरी दी है, 5,801 करोड़ रुपए होंगे खर्च?

सारांश
Key Takeaways
- लखनऊ मेट्रो रेल परियोजना का चरण-1बी 5,801 करोड़ रुपए की लागत से लागू होगा।
- इसमें 12 नए स्टेशन शामिल होंगे।
- परियोजना से शहर की कनेक्टिविटी में सुधार होगा।
- यह आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण में सहायक होगी।
- नए मेट्रो स्टेशनों से स्थानीय व्यवसायों को बढ़ावा मिलेगा।
नई दिल्ली, 12 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में उत्तर प्रदेश में लखनऊ मेट्रो रेल परियोजना के चरण-1बी को स्वीकृति दी है। इस परियोजना में लगभग 12 स्टेशनों का निर्माण किया जाएगा, जिसकी लागत 5,801 करोड़ रुपए होगी।
सरकार के अनुसार, इस परियोजना का कॉरिडोर 11.165 किलोमीटर लंबा होगा और इसमें 7 भूमिगत और 5 ऊँचाई पर स्थित स्टेशनों को मिलाकर कुल 12 स्टेशन होंगे। चरण-1बी के शुरू होने पर, लखनऊ में 34 किलोमीटर का मेट्रो रेल नेटवर्क काम करेगा।
बयान में कहा गया कि यह परियोजना शहर के सबसे पुराने और घनी आबादी वाले क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन के सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जहां अभी अच्छी कनेक्टिविटी का अभाव है।
इस परियोजना से अमीनाबाद, यहियागंज, पांडेयगंज और चौक जैसे प्रमुख व्यावसायिक केंद्रों को जोड़ा जाएगा, साथ ही किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी जैसे शिक्षण संस्थान और बड़े पर्यटन स्थल जैसे बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा, भूल-भुलैया, घंटाघर और रूमी दरवाजा भी शामिल होंगे।
सरकार ने आगे कहा कि इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों को मेट्रो नेटवर्क से जोड़ने के बाद, चरण-1बी न केवल कनेक्टिविटी बढ़ाएगा, बल्कि आर्थिक गतिविधियों, पर्यटन को भी प्रोत्साहित करेगा और निवासियों और आगंतुकों के लिए शहरी आवागमन को सरल बनाएगा।
सरकार के मुताबिक, लखनऊ मेट्रो रेल परियोजना में चरण-1बी के जुड़ने से पारंपरिक जीवाश्म ईंधन आधारित परिवहन की तुलना में कार्बन उत्सर्जन में काफी कमी आएगी।
इसके अलावा, यात्रा का समय कम होने और शहर के विभिन्न हिस्सों जैसे हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशनों और बस डिपो तक बेहतर पहुंच से लोग अपने कार्यस्थलों और गंतव्यों तक अधिक कुशलता से पहुंच सकेंगे, जिससे उत्पादकता में वृद्धि हो सकती है। वहीं, नए मेट्रो स्टेशनों के आसपास की क्षेत्रों में बेहतर कनेक्टिविटी स्थानीय व्यवसायों को भी बढ़ावा दे सकती है, जिससे कम पहुंच वाले क्षेत्रों में निवेश और विकास को आकर्षित किया जा सकता है।