क्या मध्य प्रदेश सरकार ने आईएएस संतोष वर्मा के खिलाफ बड़ी कार्रवाई के संकेत दिए हैं?
सारांश
Key Takeaways
- संतोष वर्मा को कृषि विभाग से हटाया गया है।
- उनके खिलाफ बड़ी कार्रवाई की तैयारी चल रही है।
- फर्जी दस्तावेजों के आरोप उनके करियर को प्रभावित कर सकते हैं।
- राज्य सरकार ने स्थिति को गंभीरता से लिया है।
- विभागीय जांच अंतिम चरण में है।
भोपाल, 12 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश में एक विशिष्ट समुदाय के संबंध में दिए गए बयान के कारण विवादों में फंसे भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी संतोष वर्मा की मुश्किलें बढ़ रही हैं। उनके खिलाफ बड़ी कार्रवाई के संकेत भी मिल रहे हैं। वर्तमान में, उन्हें कृषि विभाग के उप सचिव के पद से हटा दिया गया है और बिना विभाग के अटैच किया गया है।
संतोष वर्मा ने अनुसूचित जाति जनजाति कर्मचारी संगठन के कार्यक्रम में एक विशेष वर्ग की बेटियों के बारे में विवादास्पद बयान दिया था। इस बयान के कारण ब्राह्मण समाज में नाराजगी उत्पन्न हुई थी और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग उठाई जा रही थी। राज्य सरकार ने भी वर्मा की टिप्पणी को गंभीरता से लेते हुए उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
संतोष वर्मा पहले राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे हैं और उन्हें पदोन्नति देकर आईएएस का दर्जा दिया गया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी दस्तावेजों का उपयोग किया।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार, राज्य प्रशासनिक सेवा से आईएएस के लिए पदोन्नति फर्जी और जाली आदेशों के माध्यम से प्राप्त की गई है। विभिन्न न्यायालयों में उनके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आईएएस की पदोन्नति पर प्रश्न उठाए जा रहे हैं। आईएएस को बर्खास्त करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, वर्मा के खिलाफ फर्जी दस्तावेज के आधार पर प्रमाण पत्र प्राप्त करने के आरोप की विभागीय जांच अंतिम चरण में है। संतोष वर्मा द्वारा कारण बताओ नोटिस का उत्तर संतोषजनक नहीं है। उनके द्वारा लगातार मर्यादा विहीन वक्तव्य दिए जा रहे हैं। अब चार्जशीट जारी करने का निर्णय लिया गया है।
राज्य सरकार ने वर्मा को उप सचिव कृषि विभाग से हटाकर जीएडी पूल में बिना किसी कार्य के अटैच करने का निर्णय लिया है।