क्या वसई में 100 सिट-अप्स की सजा के बाद स्टूडेंट की मौत हुई?

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क्या वसई में 100 सिट-अप्स की सजा के बाद स्टूडेंट की मौत हुई?

सारांश

क्या एक स्कूल ने एक छात्रा को दी गई कठोर सजा के कारण उसकी जान ले ली? यह मामला वसई में हर किसी के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। जानें इस घटना के पीछे की सच्चाई और न्याय की मांग।

Key Takeaways

  • काजल गौड़ की दुखद मौत ने महाराष्ट्र में शिक्षा प्रणाली पर सवाल उठाए हैं।
  • टीचर द्वारा दी गई 100 सिट-अप्स की सजा अत्यधिक कठोर थी।
  • एसआईटी जांच की मांग की जा रही है।
  • नाबालिगों के अधिकारों की सुरक्षा आवश्यक है।
  • भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए शारीरिक सजा पर रोक लगानी चाहिए।

मुंबई, 20 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। वसई की 13 साल की बच्ची काजल गौड़ की मौत ने पूरे महाराष्ट्र को झकझोर कर रख दिया है। स्कूल में 10 मिनट देर से आने पर टीचर ने उसे 100 सिट-अप्स करने की सजा दी। इसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ती गई और जेजे हॉस्पिटल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

इस पूरे मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट में एक पिटीशन दायर की गई है, जिसमें कोर्ट से खुद संज्ञान लेकर कार्रवाई करने की मांग की गई है।

यह पिटीशन वकील स्वप्ना प्रमोद कोडे ने चीफ जस्टिस चंद्रशेखर को संबोधित करते हुए फाइल की है। उन्होंने कोर्ट से अपील की है कि इस मामले की जांच तेजी से करवाई जाए, क्योंकि यह सिर्फ एक बच्ची की मौत का मामला नहीं, बल्कि एक इंसानी और संवैधानिक मुद्दा है।

पिटीशन में मांग की गई है कि एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम बनाई जाए, जो स्कूल के गैरकानूनी कामकाज और इस मौत के पीछे की सभी परिस्थितियों की जांच करे। साथ ही स्कूल मैनेजमेंट और आरोपी टीचर के खिलाफ तुरंत एफआईआर दर्ज की जाए।

पिटीशन के मुताबिक, 8 नवंबर 2025 को क्लास 6 की स्टूडेंट काजल गौड़ को देर से आने पर 100 सिट-अप्स करने को कहा गया। काजल की हालत स्कूल से घर लौटने के बाद बिगड़ने लगी। उसे पहले वसई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, फिर हालात खराब होने पर जेजे हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां 14 नवंबर को उसकी मौत हो गई।

वालिव पुलिस ने अभी तक सिर्फ एक्सीडेंटल डेथ की रिपोर्ट दर्ज की है और एफआईआर दर्ज करने के लिए फॉरेंसिक रिपोर्ट के नतीजों का इंतजार कर रही है।

वहीं, स्कूल की तरफ से दावा किया गया कि उन्हें काजल की खराब सेहत के बारे में पता था और उन्होंने उसके माता-पिता से मेडिकल मदद लेने को कहा था, लेकिन सजा देने वाली टीचर ममता यादव को पता नहीं था कि काजल सजा पाने वाले बच्चों के समूह में है। प्रिंसिपल का कहना है कि टीचर उसे पहचान नहीं पाई क्योंकि उसकी हाइट छोटी थी, हालांकि जांच पूरी होने तक टीचर को सस्पेंड कर दिया गया है।

पिटीशन में बताया गया है कि हर नागरिक को जीवन और गरिमा से जीने का हक है। किसी भी इंसान की जान कानून के बिना नहीं ली जा सकती। यहां एक नाबालिग बच्ची को ऐसी सजा दी गई जो उसकी जान ले बैठी। यह न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है और एक बड़े अपराध की ओर इशारा करता है।

वकील स्वप्ना कोडे ने कोर्ट से मांग की है कि एसआईटी गठित की जाए जो पूरी घटना की तेजी से जांच करे और स्कूल प्रबंधन व आरोपी टीचर के खिलाफ मामला दर्ज करे। स्कूल के अवैध संचालन की जांच हो और जरूरत पड़े तो उसकी मान्यता रद्द कर दी जाए। पूरे राज्य में शारीरिक सजा पर रोक लगाने के लिए निर्देश जारी किए जाएं। काजल के भाई समेत प्रभावित स्टूडेंट्स की पढ़ाई का भविष्य सुरक्षित किया जाए।

Point of View

बल्कि यह हमारे शिक्षा प्रणाली और उसके मूल सिद्धांतों पर भी प्रश्न उठाती है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी घटनाएँ भविष्य में न हों। छात्रों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा हमारे लिए सर्वोपरि होनी चाहिए।
NationPress
20/11/2025

Frequently Asked Questions

काजल गौड़ की मौत कैसे हुई?
काजल को स्कूल में देर से आने पर 100 सिट-अप्स की सजा दी गई थी, जिसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ गई और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
इस मामले में कोर्ट ने क्या कार्रवाई की है?
बॉम्बे हाई कोर्ट में एक पिटीशन दायर की गई है, जिसमें एसआईटी जांच की मांग की गई है।
क्या स्कूल ने काजल की सेहत के बारे में बताया था?
स्कूल का कहना है कि उन्हें काजल की खराब सेहत के बारे में पता था और उन्होंने उसके माता-पिता से मेडिकल मदद लेने को कहा था।
क्या टीचर को सस्पेंड किया गया है?
जी हां, जांच पूरी होने तक सजा देने वाली टीचर को सस्पेंड कर दिया गया है।
क्या इस घटना पर शारीरिक सजा पर रोक लगेगी?
पिटीशन में मांग की गई है कि पूरे राज्य में शारीरिक सजा पर रोक लगाने के लिए निर्देश जारी किए जाएं।
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