क्या योग मानवता के सामने की चुनौतियों से पार पाने का एक साधन है?

सारांश
Key Takeaways
- योग
- प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों से योग को वैश्विक मान्यता मिली है।
- योग को जन आंदोलन में बदलने की दिशा में कदम उठाए गए हैं।
- नई पीढ़ी को योग के लाभ मिल रहे हैं।
- भारतीय योग का महत्व बढ़ रहा है।
सहारनपुर, 21 जून (राष्ट्र प्रेस)। 11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर पद्मश्री भारत भूषण ने देशवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश साझा किया। उन्होंने कहा कि योग मानवता के समक्ष उपस्थित चुनौतियों और विषमताओं से निपटने का एक प्रभावी उपकरण है। प्रधानमंत्री मोदी की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि उनके निरंतर प्रयासों के चलते आज समस्त विश्व में योग दिवस मनाने की परंपरा स्थापित हो चुकी है।
उन्होंने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में बताया कि योग एक ऐसा साधन है जो मानवता को अपने समक्ष आने वाली चुनौतियों से उबरने में मदद करता है, जिसे भारतीय ऋषियों ने प्राचीन काल में प्रस्तुत किया था। समय के साथ, लोगों ने योग से दूरी बना ली, और केवल बीमार या आध्यात्मिक मार्ग पर चलने वाले व्यक्तियों ने ही योग को अपनाया। लेकिन आज, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र ने योग को सभी देशों के लिए अनिवार्य बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया है।
उन्होंने याद किया कि जब पहली बार योग कार्यक्रम तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित किया गया था, तब एक नारा दिया गया था, "मोदी जी का यह उपहार, योग करें सारा संसार"। हमें यह समझना चाहिए कि जब किसी व्यक्ति ने अच्छा कार्य किया है, तो हमें उसे खुले दिल से स्वीकार करना चाहिए।
योग को जन आंदोलन बनाने के प्रयासों पर उन्होंने कहा कि 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित होने के बाद, यह एक महत्वपूर्ण सवाल बना कि इसे जन आंदोलन कैसे बनाया जाए। भारत सरकार और आयुष मंत्रालय ने इस दिशा में पहल की, जिससे लोगों को योग करने की आदत पड़ गई और यह जिलों से लेकर गांवों तक एक जन आंदोलन का रूप ले लिया।
प्रधानमंत्री मोदी के साथ योगाभ्यास के अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि अब तो पीएम मोदी के साथ दुनिया योग करती है, और हम केवल योग नहीं करते, बल्कि योगमय चिंतन में भी एक साथ होते हैं। मुझे गर्व है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद जब मेरी उनसे भेंट हुई, तो उन्होंने कहा कि हमें योग को ऊंचाइयों तक ले जाना है।
उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने बिंदुओं को जोड़कर एक सिंधु बनाने का प्रयास किया है, और आज सांसद, विधायक, मंत्री से लेकर छात्र और संस्थान भी योग से अछूते नहीं रहे हैं।
इसके सबसे बड़े लाभ हमारी नई पीढ़ी को हो रहे हैं। इस दौरान हमें भारतीय योग को बढ़ावा देना चाहिए, क्योंकि भारत और योग का संबंध अनादिकाल से है। योग का यह स्वरूप शरीर से लेकर सोच तक का समावेश करता है।
विश्व स्तर पर योग को पहुंचाने का श्रेय महर्षि पतंजलि, भगवान कृष्ण, और योगिराज भगवान शिव को जाता है। लेकिन, यदि योग को अपनाया न जाए, तो इसका क्या लाभ? अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में दुनिया को योग नरेंद्र मोदी ने दिया है।