क्या मणिपुर में सीबीआई ने इंफाल में एक वरिष्ठ लेखाकार को 10 हजार रुपए की रिश्वत लेते पकड़ा?
सारांश
Key Takeaways
- सीबीआई ने मणिपुर में एक वरिष्ठ लेखाकार को गिरफ्तार किया।
- आरोपी को 10 हजार रुपए की रिश्वत लेते पकड़ा गया।
- भ्रष्टाचार के खिलाफ सीबीआई की जीरो टॉलरेंस नीति।
- मामले की आगे की जांच जारी है।
- सीबीआई की कार्रवाई से भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सख्त संदेश।
इंफाल, 18 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। मणिपुर में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने एक वरिष्ठ लेखाकार को रिश्वतखोरी के एक मामले में गिरफ्तार किया है। आरोपी को शिकायतकर्ता से 10 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया।
गिरफ्तार हुए अधिकारी की पहचान इरोम बिशोरजीत सिंह के रूप में की गई है। बिशोरजीत सिंह इंफाल स्थित प्रधान महालेखाकार (लेखा एवं हकदारी) कार्यालय में कार्यरत है।
सीबीआई के अनुसार, शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि आरोपी लेखाकार ने उसकी संशोधित सुनिश्चित करियर प्रगति योजना (एमएसीपी) फाइल को मंजूरी देने के बदले 20,000 रुपए रिश्वत मांगी। शिकायत दर्ज होने के बाद सीबीआई ने मामले की जांच शुरू की और इसके बाद ट्रैप बिछाया।
सीबीआई की टीम ने 18 नवंबर को 10 हजार रुपए की पहली किस्त लेकर शिकायतकर्ता को वरिष्ठ लेखाकार के पास भेजा। जैसे ही आरोपी ने कैश लिया, तभी जांच एजेंसी ने उसे धर दबोचा। गिरफ्तारी के तुरंत बाद आरोपी के घर और कार्यालय परिसरों में तलाशी अभियान चलाया गया, जहां से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल सामग्री जब्त की गई है।
सीबीआई ने कहा कि मामले में आगे की जांच जारी है और यह पता लगाया जा रहा है कि क्या अन्य अधिकारी या कर्मचारी भी इस प्रकरण में शामिल हैं। सीबीआई भ्रष्टाचार मामलों पर जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत कार्रवाई कर रही है।
इससे पहले, सीबीआई ने 14 नवंबर को उत्तर प्रदेश में कानपुर देहात स्थित ग्रामीण बैंक (यूपीजीबी) की बरौर शाखा के फील्ड ऑफिसर और शाखा प्रबंधक को रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था। सीबीआई ने शिकायत के आधार पर केस दर्ज किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि आरोपियों ने शिकायतकर्ता से 1,20,000 रुपए के किसान क्रेडिट कार्ड ऋण के अनुमोदन के बदले 7,000 रुपए की रिश्वत मांगी थी।
इसी क्रम में गुरुवार को लखनऊ स्थित सीबीआई कोर्ट ने रिश्वतखोरी के एक मामले में बैंक ऑफ बड़ौदा के ब्रांच मैनेजर को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई थी। कोर्ट ने दोषी ब्रांच मैनेजर को 50 हजार रुपए के जुर्माने के साथ 5 साल की कैद की सजा सुनाई थी।