क्या मथुरा में 'सनातन एकता पदयात्रा' ने धीरेंद्र शास्त्री को सैल्यूट किया?
सारांश
Key Takeaways
- हिंदू एकता का संदेश फैलाना
- धीरेंद्र शास्त्री की दृढ़ता
- सुरक्षा व्यवस्था का महत्व
- भक्तों का उत्साह और समर्थन
- समाज में व्याप्त भेदभाव का समाधान
मथुरा, १३ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की ‘सनातन एकता पदयात्रा’ गुरुवार को भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा में भारी उत्साह के साथ प्रवेश कर गई। पिछले सात दिनों से चल रही इस यात्रा का यूपी-हरियाणा बॉर्डर से मथुरा तक जगह-जगह भव्य स्वागत हुआ।
सनातन एकता पदयात्रा का मुख्य उद्देश्य हिंदू एकता का संदेश फैलाना है।
हालांकि, यात्रा के दौरान धीरेंद्र शास्त्री का स्वास्थ्य अचानक खराब हो गया था और उन्हें सड़क पर कुछ देर आराम करना पड़ा। इसके बावजूद उन्होंने अपनी दृढ़ता दिखाई और आचार-पराठा खाकर यात्रा जारी रखी।
मथुरा में पदयात्रा की सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी संभाल रहे एएसपी अनुज चौधरी और उनकी टीम की सजगता को देखते हुए एक अनूठा अवसर आया। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने सुरक्षा के कड़े इंतजामों के लिए एएसपी अनुज चौधरी को सलाम किया, जो पुलिस और जनता के बीच सद्भावना का प्रतीक बना।
मथुरा में यह पदयात्रा अगले चार दिनों में लगभग ५५ किलोमीटर की दूरी तय करेगी, जिसके लिए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। भक्तों का उत्साह चरम पर है, जिन्होंने फूलों की वर्षा कर और जय श्री राम के नारों के साथ शास्त्री का स्वागत किया। इस दौरान हनुमान की वेशभूषा में भक्त और सीता-राम की झांकियां आकर्षण का केंद्र बनीं।
धीरेंद्र शास्त्री ने संबोधन में दिल्ली ब्लास्ट पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे देश में दंगा नहीं, गंगा चाहते हैं, और मौलवियों से बच्चों को डॉ. कलाम बनाने का आह्वान किया था। उनकी यात्रा अब मथुरा के धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र में प्रवेश कर चुकी है।
आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि यह हिंदुओं की यात्रा है। इसमें किसी भी पार्टी का कोई भी सदस्य शामिल हो सकता है, जो आएगा उसका स्वागत रहेगा। यह यात्रा हिंदू समाज में व्याप्त जाति भेदभाव, छुआछूत और सामाजिक विभाजन को मिटाने के लिए है। यह यात्रा सनातन धर्म की रक्षा और हिंदू एकता का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि भारत एक धर्मशाला नहीं है। यहां उन लोगों को रहने का अधिकार नहीं है जो देश के बाहर के हैं। मेरा मानना है कि सरकार इन लोगों को खोजे और देश से निकालने का काम करे। हमारा मानना है कि जो इस देश के नहीं हैं, उन्हें यहां रहने का अधिकार नहीं है।