क्या 'विकसित भारत जी राम जी बिल' सिर्फ नाम बदलने का मामला है?
सारांश
Key Takeaways
- केंद्र सरकार का 'विकसित भारत जी राम जी बिल' विवाद में है।
- कांग्रेस और विपक्ष का आरोप है कि यह महात्मा गांधी के सम्मान को नुकसान पहुँचाता है।
- राज्यों के अधिकारों पर गंभीर प्रश्न उठ रहे हैं।
नई दिल्ली, 17 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत 'विकसित भारत जी राम जी बिल' को लेकर सदन के बाहर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस बिल के खिलाफ गंभीर आपत्तियां उठाते हुए इसे राज्यों के अधिकारों और महात्मा गांधी के सम्मान से संबंधित मुद्दा बताया है। विपक्ष का कहना है कि यह बिल केवल नाम बदलने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके माध्यम से योजना की मूल संरचना में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए जा रहे हैं।
कांग्रेस सांसद उज्ज्वल रमण सिंह ने इस बिल पर सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि किसी योजना की संरचना को समाप्त करने का अर्थ है उस योजना को ही समाप्त कर देना। नाम परिवर्तन के साथ-साथ संगठनात्मक ढांचे में भी बड़े बदलाव किए जा रहे हैं, जिस पर कांग्रेस को गंभीर आपत्ति है। हम चाहते हैं कि सरकार इस बिल को वापस ले और इसे इसके मूल स्वरूप में लाए।
उन्होंने यह भी सवाल किया कि केंद्र सरकार किस अधिकार से राज्यों पर यह शर्त थोप रही है कि उन्हें 40 प्रतिशत धनराशि देनी होगी। उन्होंने पूछा, "क्या दिल्ली में बैठी सरकार यह तय कर सकती है कि राज्यों को कितना पैसा मिलना चाहिए? क्या राज्यों की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत है कि वे इस बोझ को सहन कर सकें?"
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि इस प्रकार के प्रावधान केंद्र और राज्यों के बीच नए टकराव को जन्म देंगे।
वहीं, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के सांसद एन के प्रेमचंद्रन ने भी इस बिल का विरोध किया। उन्होंने कहा कि यह मामला केवल मनरेगा के नाम बदलने का नहीं है, बल्कि इससे कहीं अधिक गंभीर है।
प्रेमचंद्रन ने कहा, "इस योजना और कानून से महात्मा गांधी का नाम हटाना एक अपमान है। हमें महात्मा गांधी पर गर्व होना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्यवश भाजपा नहीं चाहती कि इस योजना का नाम गांधी जी से जुड़ा रहे।"
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर महात्मा गांधी के नाम को हटाने की कोशिश कर रही है, जबकि गांधी जी देश के हर नागरिक के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने भी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, "यह सरकार महात्मा गांधी के राजनीतिक और सामाजिक नाम को मिटाना चाहती है। लेकिन गांधी ऐसा नाम है जिसे कोई मिटा नहीं सकता।"