क्या मैन-पोर्टेबल अंडरवाटर व्हीकल नौसेना के माइन विरोधी मिशनों की नई ताकत है?
सारांश
Key Takeaways
- मैन-पोर्टेबल ऑटोनॉमस अंडरवाटर व्हीकल्स भारतीय नौसेना के लिए एक नई तकनीक है।
- यह माइन जैसी खतरनाक वस्तुओं की पहचान करता है।
- इसमें डीप-लर्निंग तकनीक का उपयोग होता है।
- यह कम जोखिम और कम लॉजिस्टिक आवश्यकता के साथ काम करता है।
- फील्ड ट्रायल सफल रहा है।
नई दिल्ली, 14 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय नौसेना के अंडर वॉटर मिशनों के लिए नवीनतम और अत्याधुनिक उपकरणों का विकास किया गया है। वास्तव में, ये नई पीढ़ी के मैन-पोर्टेबल ऑटोनॉमस अंडरवाटर व्हीकल्स (एयूवी) हैं। यह डीआरडीओ द्वारा सफलतापूर्वक विकसित किया गया है और यह नौसेना के अंडर वॉटर माइन मिशनों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
इस प्रणाली के माध्यम से, ये उपकरण नौसेना को रियल टाइम में माइन जैसी खतरनाक वस्तुओं की पहचान और वर्गीकरण करने की क्षमता प्रदान करते हैं। यह तकनीक भारतीय नौसेना के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है, क्योंकि यह समुद्री खतरों की पहचान, विश्लेषण और निस्तारण की क्षमता को कई गुना बढ़ाती है। इस प्रणाली में उन्नत सेंसर और स्वायत्तता शामिल है। इसमें कई ऑटोनॉमस अंडरवाटर व्हीकल्स (एयूवी) शामिल हैं, जो कि साइड स्कैन सोनार और अंडरवाटर कैमरों से सुसज्जित हैं।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की विशाखापट्टनम स्थित नेवल साइंस ऐंड टेक्नोलॉजिकल लैबोरेटरी ने इस प्रणाली का विकास किया है। एयूवी में लगे डीप-लर्निंग आधारित लक्ष्य पहचान करने वाले एल्गोरिद्म इन्हें स्वायत्त रूप से वर्गीकृत करने में सक्षम बनाते हैं। इससे ऑपरेटर का कार्यभार कम होता है और मिशन का समय भी घटता है।
इसके अलावा, इस प्रणाली में एक मजबूत अंडरवॉटर ध्वनिक संचार तकनीक भी शामिल की गई है। इससे ये एयूवी आपस में डेटा साझा कर सकते हैं और मिशन के दौरान सामूहिक स्थिति जागरूकता में वृद्धि होती है। हाल ही में इस तकनीक का फील्ड ट्रायल सफल रहा है। हार्बर में हालिया फील्ड ट्रायल में प्रणाली के प्रमुख तकनीकी पैरामीटर और मिशन उद्देश्यों का सफल सत्यापन किया गया।
यह ध्यान देने योग्य है कि कई उद्योग भागीदार इस प्रणाली के निर्माण में शामिल हैं और आने वाले कुछ महीनों में पूरा सिस्टम उत्पादन के लिए तैयार हो जाएगा। डीआरडीओ के चेयरमैन डॉ. समीर वी. कामत ने इस उपलब्धि पर अपनी पूरी टीम को बधाई दी है।
उन्होंने कहा कि एमपी-एयूवी का विकास स्मार्ट, नेटवर्क-सक्षम और त्वरित प्रतिक्रिया देने वाली माइन काउंटरमेजर क्षमता की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। उनके अनुसार, यह प्रणाली नौसेना को कम जोखिम और कम लॉजिस्टिक आवश्यकता के साथ उन्नत माइन वॉरफेयर समाधान प्रदान करेगी।