क्या श्रावण का पहला सोमवार नोएडा के मंदिरों में भक्तों की भीड़ के साथ मनाया जा रहा है?

सारांश
Key Takeaways
- नोएडा में भक्तों की भीड़ ने धार्मिक उत्साह को बढ़ाया है।
- पुलिस सुरक्षा व्यवस्था ने शांति बनाए रखने में मदद की है।
- श्रावण के पहले सोमवार पर विशेष पूजा का आयोजन होता है।
- कांवड़ यात्रा के लिए धर्मगुरुओं के साथ बैठक की गई है।
- श्रावण मास का धार्मिक महत्व उच्च है।
नोएडा, 14 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। श्रावण मास के पहले सोमवार को सुबह से ही मंदिरों में भक्तों की लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं। सभी भक्त भोलेनाथ को जल चढ़ाकर पुण्य अर्जित करने की इच्छा से आए हैं। इस अवसर पर पुलिस ने सुरक्षा और यातायात व्यवस्था को संभालने का कार्य लिया है। नोएडा के मंदिरों के बाहर कड़ी सुरक्षा तैनात की गई है। इसके साथ ही, कांवड़ यात्रा के संदर्भ में अधिकारियों ने विभिन्न धर्मों के धर्मगुरुओं के साथ एक बैठक का आयोजन भी किया है।
गौतमबुद्धनगर की पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह के निर्देशानुसार, कांवड़ शोभायात्रा की तैयारी के तहत इलाके के प्रमुख व्यक्तियों के साथ चर्चा की गई। सभी से यात्रा को शांतिपूर्ण और सफल बनाने में सहयोग का अनुरोध किया गया है। पुलिस अधिकारी इलाके में लगातार पैदल गश्त कर रहे हैं। गौतमबुद्धनगर में ऐसे कई मंदिर हैं, जहां श्रावण के पहले सोमवार को बड़ी संख्या में भक्त भगवान शिव को जलाभिषेक करते हैं और अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं।
नोएडा में सेक्टर-2सेक्टर-100 का प्राचीन वोडा महादेव मंदिर, सेक्टर-31 निठारी, सेक्टर-14 ए शनि मंदिर, सेक्टर-20 का हनुमान मंदिर, सेक्टर-71, सरफाबाद, सेक्टर-63 बाजितपुर, सेक्टर-168, सेक्टर-159, सेक्टर-44 और अन्य मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना की व्यवस्था की गई है।
इसके साथ ही, जेवर, रघुपुर, दनकौर और बिलासपुर के मंदिरों में भी भक्तों की भीड़ देखी जा रही है। इसको ध्यान में रखते हुए वहां पर विशेष पुलिस बल की तैनाती की गई है। सीसीटीवी और ड्रोन की मदद से सुरक्षा की निगरानी की जा रही है। नोएडा, ग्रेटर नोएडा और सेंट्रल जोन में पुलिस अधिकारी लगातार पैदल गश्त कर रहे हैं ताकि ट्रैफिक जाम की स्थिति उत्पन्न न हो सके।
श्रावण मास के संबंध में यह मान्यता है कि इस महीने भगवान विष्णु शयन करने जाते हैं और सभी कार्य भगवान शंकर को सौंप दिए जाते हैं। इसलिए इस माह को हरिहर मास भी कहा जाता है। इस दौरान आवले का पत्ता और बेलपत्र भगवान शिव को अर्पित करने की प्रथा है।