क्या पवन कल्याण ने सत्य साईं बाबा के शताब्दी समारोह में पीएम मोदी का आभार व्यक्त किया?
सारांश
Key Takeaways
- सत्य साईं बाबा का जीवन मानवता के लिए प्रेरणा है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समारोह में महत्वपूर्ण भाग लिया।
- आध्यात्मिकता और सेवा का सन्देश आज भी प्रासंगिक है।
- पवन कल्याण ने मोदी जी का आभार व्यक्त किया।
- सत्य साईं बाबा की शिक्षाएँ आज भी लोगों के जीवन को प्रभावित करती हैं।
पुट्टपर्थी, 19 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को आंध्र प्रदेश के पुट्टपर्थी में सत्य साईं बाबा के शताब्दी समारोह में भाग लिया। आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने समारोह में शामिल होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने सत्य साईं बाबा की शिक्षाओं को भी स्मरण किया।
इस अवसर पर पवन कल्याण ने कहा कि वह आज पुट्टपर्थी में आकर और भगवान श्री सत्य साईं बाबा के शताब्दी समारोह में भाग लेकर अत्यंत गर्वित हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हार्दिक आभार प्रकट किया।
पवन कल्याण ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा कि बाबा का जीवन इस बात का प्रमाण है कि जब आध्यात्मिकता सेवा में बहती है, तो मानवता को बदलने की शक्ति होती है। अनंतपुर में सूखे के दौरान, उनकी दूरदर्शिता और करुणामयी दृष्टि ने पूरे क्षेत्र में एक जीवन-परिवर्तनकारी पेयजल परियोजना का निर्माण किया।
उन्होंने लिखा कि निःशुल्क स्वास्थ्य सेवा, निःशुल्क शिक्षा और वैश्विक मानवीय पहलों के माध्यम से उनकी सेवा आज भी अनगिनत लोगों के जीवन को संवर्धित कर रही है।
उन्होंने कहा कि 'सबको प्रेम करो, सबकी सेवा करो' के संदेश के साथ उन्होंने भारत की आध्यात्मिक शक्ति को विश्व स्तर पर प्रस्तुत किया और हमें याद दिलाया कि करुणा ही राष्ट्र निर्माण का सच्चा स्वरूप है। लाखों लोग उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलते रहते हैं। मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, गारू, सचिन तेंदुलकर, ऐश्वर्या राय बच्चन, और इस पावन उत्सव में शामिल सभी मंत्रियों और विशिष्ट अतिथियों का हार्दिक आभार।
ज्ञात हो कि इस समारोह में प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने पुट्टपर्थी में सत्य साईं बाबा के जीवन और शिक्षाओं को समर्पित एक स्मारक सिक्का और डाक टिकटों का एक सेट जारी किया। पीएम मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, "श्री सत्य साईं बाबा का यह जन्मशताब्दी वर्ष हमारी पीढ़ी के लिए सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि एक दिव्य वरदान है।"