क्या पीएम मोदी ने 'मन की बात' में छठ पूजा को ग्लोबल फेस्टिवल बताया?

सारांश
Key Takeaways
- छठ पूजा भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है।
- यह पर्व अब वैश्विक स्तर पर पहचान बना रहा है।
- भारत सरकार छठ पूजा को यूनेस्को में शामिल करने का प्रयास कर रही है।
- स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देने का महत्व।
- सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित करने की आवश्यकता।
नई दिल्ली, 28 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के 126वें एपिसोड में देशवासियों के साथ भारतीय संस्कृति और परंपराओं पर गहरी बातें साझा कीं। इस अवसर पर उन्होंने विशेष रूप से छठ पूजा के महत्व को उजागर किया, जिसे उन्होंने भारत की सांस्कृतिक धरोहर का एक जीवंत प्रतीक माना।
पीएम मोदी ने कहा कि यह पर्व न केवल देश के विभिन्न हिस्सों में उत्साह के साथ मनाया जाता है, बल्कि अब यह वैश्विक स्तर पर भी अपनी पहचान बना रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा, "हमारे पर्व-त्योहार भारत की संस्कृति को जीवंत बनाए रखते हैं। छठ पूजा एक ऐसा पावन पर्व है, जो दिवाली के बाद आता है। सूर्यदेव को समर्पित यह महापर्व बहुत ही विशेष है। इसमें हम डूबते सूर्य को भी अर्घ्य देते हैं, उनकी आराधना करते हैं। छठ पूजा को न सिर्फ देश के अलग-अलग हिस्सों में मनाया जाता है, बल्कि दुनिया भर में छटा देखने को मिलती है। आज ये एक ग्लोबल फेस्टिवल बन रहा है।"
पीएम मोदी ने आगे कहा कि मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि भारत सरकार भी छठ पूजा से जुड़ा एक बड़ा प्रयास कर रही है। भारत सरकार छठ महापर्व को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल करने का प्रयास कर रही है। जब छठ पूजा यूनेस्को की सूची में शामिल हो जाएगी, तो दुनिया के हर कोने के लोग इसकी भव्यता और दिव्यता का अनुभव कर सकेंगे।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि कुछ समय पहले भारत सरकार की इसी तरह की कोशिशों के कारण, कोलकाता की दुर्गा पूजा भी यूनेस्को की इस सूची में शामिल हो गई थी। अगर हम अपने सांस्कृतिक आयोजनों को ऐसी वैश्विक पहचान दिलाते हैं, तो दुनिया भी उनके बारे में जान सकेगी, उन्हें समझ सकेगी और उनमें भाग लेने के लिए आगे आएगी।
आगामी त्योहारों की तैयारी में, प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों से स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देकर खरीदने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि स्थानीय उत्पाद खरीदना न केवल पारंपरिक उद्योगों को बढ़ावा देता है, बल्कि इन उत्पादों को बनाने वाले परिवारों को भी सीधे लाभ पहुँचाता है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था निचले स्तर से मजबूत होती है।