क्या पूर्व मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने सचखंड श्री हरमंदिर साहिब में विशेष अरदास की?

सारांश
Key Takeaways
- कुलदीप सिंह धालीवाल ने बाढ़ पीड़ित परिवारों के लिए अरदास की।
- सचखंड श्री हरमंदिर साहिब का धार्मिक महत्व है।
- बंदी छोड़ दिवस स्वतंत्रता का प्रतीक है।
- गुरु रामदास जी के चरणों में नतमस्तक होकर प्रार्थना की गई।
- पंजाब की खुशहाली और शांति के लिए अरदास की गई।
अमृतसर, 21 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पंजाब राज्य के पूर्व कैबिनेट मंत्री और विधायक कुलदीप सिंह धालीवाल ने मंगलवार को सचखंड श्री हरमंदिर साहिब में माथा टेकने और अरदास करने का पुण्य कार्य किया। इस पवित्र अवसर पर उन्होंने गुरु रामदास जी के चरणों में नतमस्तक होकर सर्वजन हित, पंजाब की खुशहाली और बाढ़ पीड़ित परिवारों के लिए विशेष अरदास की।
दीवाली और बंदी छोड़ दिवस के इस शुभ दिन पर उन्होंने आत्मिक शांति और संतोष की अनुभूति की बात साझा की।
मीडिया से बातचीत में कुलदीप सिंह धालीवाल ने कहा, “मैंने गुरु साहिब से अरदास की है कि मेरा पंजाब फिर से रंगला पंजाब बने, जहां हर तरफ सुख, शांति और तरक्की का माहौल हो।”
उन्होंने बताया कि बाढ़ के बाद यह उनका पहला अवसर था जब वे दरबार साहिब पहुंचे। इस दौरान उन्होंने बाढ़ प्रभावित परिवारों के लिए विशेष प्रार्थना की, जिन्होंने आपदा में अपनी खुशियां खो दीं।
कुलदीप सिंह धालीवाल ने कहा, “बाढ़ ने कई परिवारों को गहरे दुख में डुबो दिया है। मैंने गुरु रामदास जी से प्रार्थना की है कि अगली दीवाली तक इन परिवारों की जिंदगी में खुशियां लौट आएं और वे भी उत्साह के साथ त्योहार मना सकें।”
सच्चखंड श्री हरमंदिर साहिब में उनकी मुलाकात मुख्य ग्रंथी ज्ञानी रघुबीर सिंह से भी हुई। धालीवाल ने उनसे अनुरोध किया कि दीवाली और बंदी छोड़ दिवस के अवसर पर बाढ़ पीड़ित परिवारों के लिए विशेष अरदास की जाए। गुरु साहिब की कृपा से सभी दुखी जीवों को राहत मिले और पंजाब समृद्धि के पथ पर अग्रसर हो।
कुलदीप सिंह धालीवाल ने बंदी छोड़ दिवस के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह दिन स्वतंत्रता और मुक्ति का प्रतीक है। बंदी सिख भाइयों को रिहा किया जाए ताकि वे भी अपने परिवारों के साथ त्योहारों की खुशियां मना सकें।
उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि हमारे सिख भाई अपने घर लौटें और यह पर्व अपने प्रियजनों के साथ उत्साहपूर्वक मनाएं। गुरु साहिब सभी दुखी जीवों के दुख दूर करें और पंजाब को शांति, समृद्धि और एकता के मार्ग पर ले जाएं।”