क्या पूरी सृष्टि में केवल पुष्कर में है ब्रह्मा जी का मंदिर?
सारांश
Key Takeaways
- ब्रह्मा जी का एकमात्र मंदिर पुष्कर में है।
- देवी सावित्री का श्राप ही ब्रह्मा जी की पूजा नहीं होने का कारण है।
- पुष्कर का धार्मिक महत्व और सांस्कृतिक धरोहर।
- श्रद्धालु आज भी ब्रह्मा जी से प्रार्थना करते हैं।
- देवी सावित्री का मंदिर भी पुष्कर में है।
पुष्कर, 5 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। ब्रह्मा, विष्णु और महेश को सृष्टि का निर्माता, पालनकर्ता और संहारक माना जाता है। लेकिन अक्सर लोगों के मन में यह प्रश्न उठता है कि विष्णु और शिव जी के तो पूरे देश में कई मंदिर हैं और लोग घर में भी उनकी पूजा करते हैं, जबकि ब्रह्मा जी की पूजा लगभग कभी नहीं होती। उनका केवल एक ही मंदिर है जो पुष्कर में स्थित है।
पुराणों के अनुसार, इसका कारण देवी सावित्री का दिया हुआ श्राप है। कहा जाता है कि एक बार ब्रह्मा जी अपने हाथ में कमल का फूल लिए हुए अपने वाहन हंस पर सवार होकर यज्ञ के लिए स्थान तलाश रहे थे।
इसी दौरान उनका कमल का फूल हाथ से गिर गया और उस स्थान पर तीन झरने बन गए। इन्हें ब्रह्म पुष्कर, विष्णु पुष्कर और शिव पुष्कर के नाम से जाना गया। ब्रह्मा जी ने यहीं यज्ञ करने का निर्णय लिया, लेकिन यज्ञ में उनकी पत्नी का होना आवश्यक था।
उस समय देवी सावित्री वहां नहीं थीं और शुभ मुहूर्त निकल रहा था, इसलिए ब्रह्मा जी ने उसी समय वहां मौजूद एक सुंदर स्त्री से विवाह कर यज्ञ संपन्न कर लिया। जब देवी सावित्री को यह बात पता चली, तो वे बहुत नाराज हुईं और उन्होंने ब्रह्मा जी को श्राप दे दिया कि पूरी सृष्टि में उनकी पूजा नहीं की जाएगी।
यही कारण है कि ब्रह्मा जी का एकमात्र मंदिर पुष्कर में है। इसके बाद ब्रह्मा जी ने यहीं दस हजार वर्षों तक रहकर सृष्टि की रचना की और पांच दिनों तक यज्ञ किया। यहीं तपस्या के दौरान सावित्री देवी वहां पहुंचीं और उनकी नाराजगी शांत हुई।
श्रद्धालु आज भी ब्रह्मा जी से दूर से ही प्रार्थना करते हैं। कहा जाता है कि श्राप के कारण पूरी दुनिया में ब्रह्मा की पूजा नहीं होती। वहीं, देवी सावित्री तपस्या के लिए पुष्कर की पहाड़ियों पर चली गईं और आज भी वहां मंदिर में विराजमान हैं। वे भक्तों का कल्याण करती हैं और उनकी कृपा से ही श्रद्धालु लाभ पाते हैं।