क्या राहुल गांधी ने बिहार में राजद को छोड़ने का संकेत दिया?

सारांश
Key Takeaways
- इंडिया गठबंधन की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ का समापन पटना के गांधी मैदान में हुआ।
- कांग्रेस और राजद के बीच मतभेद बढ़ते जा रहे हैं।
- अमित मालवीय ने कांग्रेस की स्थिति पर तंज कसा है।
- राहुल गांधी ने तेजस्वी यादव को दरकिनार करने का संकेत दिया है।
- यह राजनीतिक घटनाक्रम बिहार की राजनीति पर महत्वपूर्ण असर डाल सकता है।
नई दिल्ली, 1 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में इंडिया गठबंधन की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ का समापन सोमवार को होने जा रहा है। इस विशेष अवसर पर पटना के गांधी मैदान से इंडिया गठबंधन द्वारा एक पैदल मार्च आयोजित किया गया है, जिसका समापन अंबेडकर मूर्ति के समक्ष होगा।
इस समापन कार्यक्रम को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी, राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के बड़े-बड़े होर्डिंग लगाए गए हैं, जबकि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के किसी भी नेता की तस्वीर नहीं लगाई गई है, न ही लालू प्रसाद यादव की और न ही उनके पुत्र तेजस्वी यादव की। इस पर भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने तंज कसा है।
उन्होंने इस संबंध में सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है, जिसमें उन्होंने लिखा, 'कांग्रेस को बिहार से गायब किया राजद ने, और अब कांग्रेस राजद को गायब करने पर तुली है। इस देश की राजनीति से कांग्रेस लगभग समाप्त हो चुकी है और आगे भी उसके दिखने के कोई आसार नहीं हैं। लगता है राहुल गांधी ने ठान लिया है, हम तो डूबे सनम, तुम्हें भी ले डूबेंगे।'
उन्होंने आगे कहा, 'राहुल गांधी और लालू प्रसाद जी की दुश्मनी कोई नई बात नहीं है। लालू जी को चुनावी राजनीति से बाहर करने का काम कांग्रेस सरकार के दौरान राहुल गांधी ने ही किया था। आज इतिहास खुद को दोहरा रहा है। राहुल गांधी ने तेजस्वी को बाहर करने का संकेत दे दिया है।'
उन्होंने कहा कि चुनाव हारने के बाद दिसंबर की ठंड में महाठगबंधन में जो भेड़ियाधसान मचने वाला है, उसकी शुरुआत कांग्रेस ने आज गांधी मैदान से कर दी है।
ज्ञात हो कि इंडिया गठबंधन की ओर से ‘वोटर अधिकार यात्रा’ 17 अगस्त को बिहार के सासाराम से शुरू की गई थी, जिसका नेतृत्व राहुल गांधी ने किया। इसका मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची में हेराफेरी और 'वोट चोरी' के कथित आरोपों को उजागर करना, मतदाताओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना और निर्वाचन आयोग की विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) प्रक्रिया के खिलाफ अभियान चलाना था।