क्या राहुल गांधी ने दिल्ली देहात के प्रतिनिधियों से मिलकर गरीबों के हक के लिए आवाज उठाई?
सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी ने गरीबों के हक की रक्षा का वचन दिया।
- केंद्र सरकार की नीतियों पर गंभीर सवाल उठाए गए।
- ग्रामीणों की भूमि और रोजगार पर खतरा मंडरा रहा है।
- किसानों के लिए मजबूत भूमि अधिग्रहण कानून की आवश्यकता।
- आवाज उठाने की आवश्यकता है ताकि सभी के अधिकार सुरक्षित रहें।
नई दिल्ली, 4 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने जन-संसद के दौरान दिल्ली देहात के प्रतिनिधियों से मिलकर ग्रामीणों की समस्याओं पर गहन चर्चा की। उन्होंने इस बारे में अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक के माध्यम से जानकारी साझा की।
राहुल गांधी ने कहा कि बातचीत के दौरान देशभर के गरीबों और किसानों की परेशानियों और चिंताओं को गहराई से समझा गया। उनके अनुसार, प्रतिनिधियों ने उन्हें स्पष्ट रूप से बताया कि विकास के नाम पर गरीबों के अधिकारों को लगातार कमजोर किया जा रहा है, जिससे केवल अमीरों को लाभ हो रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की नीतियों के कारण किसान और ग्रामीण लगातार आर्थिक और सामाजिक असुरक्षा का सामना कर रहे हैं।
कांग्रेस सांसद ने पोस्ट में लिखा, "जन-संसद में दिल्ली देहात के प्रतिनिधियों से मुलाकात के दौरान देशभर के गरीबों-किसानों की पीड़ा की गूंज सुनाई दी। मोदी सरकार विकास के नाम पर गरीबों का हक अमीरों के फायदे के लिए छीन रही है। उन्होंने साफ कहा कि दिल्ली की सीमा के गांवों की ज़मीनें छीनने का संगठित षड़यंत्र चल रहा है, जो बहुत गंभीर और चिंताजनक है।"
राहुल गांधी ने कहा कि यूपीए सरकार ने किसानों के हक की रक्षा के लिए मजबूत भूमि अधिग्रहण कानून बनाया था। यह कानून किसानों की स्वेच्छा और मुआवज़ा, दोनों का ध्यान रखता है। लेकिन आज उसी कानून को दरकिनार कर लैंड पूलिंग जैसी नीतियों से ग्रामीणों को उनकी ज़मीन, रोजगार और भविष्य से वंचित किया जा रहा है, कभी दबाव से, कभी धोखे से।
राहुल गांधी ने आगे कहा कि किसानों, ग्रामीणों और गरीबों के संवैधानिक अधिकार छीनने की ये कोशिशें किसी भी हाल में सफल नहीं होने दी जाएंगी। यह सिर्फ जमीन नहीं है, बल्कि यह उनकी पहचान, इतिहास और जीवन का आधार है। मैं इस मुद्दे को संसद में जोरदार तरीके से उठाऊंगा और दिल्ली देहात के हर नागरिक को न्याय दिलाकर ही रहूंगा।