क्या राहुल गांधी 'भारत विरोधी मोगैंबो' को खुश कर रहे हैं?

सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी ने ट्रंप के बयान का समर्थन किया।
- मुख्तार अब्बास नकवी ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी।
- मोदी सरकार ने पिछले 11 वर्षों में कई उपलब्धियाँ हासिल की हैं।
- राजनीतिक विरोध का उद्देश्य संवाद का निर्माण होना चाहिए।
- भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना प्राथमिकता होनी चाहिए।
नई दिल्ली, 1 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस विवादास्पद बयान का समर्थन किया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत की अर्थव्यवस्था अब मृत हो चुकी है। इस बयान का विरोध भाजपा के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने जोरदार तरीके से किया।
मुख्तार अब्बास नकवी ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि राहुल गांधी हमेशा से ही ‘भारत विरोधी मोगैंबो’ को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं, और इसलिए वे इस तरह के बयान देते रहते हैं। आज की तारीख में कोई उन्हें गंभीरता से नहीं ले रहा है और उनकी बातों की कोई प्रासंगिकता नहीं रह गई है।
उन्होंने कहा कि मैं पिछले दो दशकों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ काम कर रहा हूं। मैंने उन्हें व्यक्तिगत रूप से देखा है कि जब भी देश में किसी भी प्रकार की चुनौती आती है, तो वे पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ काम करते हैं। वे दिन-रात देश की तरक्की के बारे में सोचते हैं। आज उनके नेतृत्व में भारत की एक अलग पहचान बनी है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ‘वही हकदार हैं किनारों के, जो बदल दे भाव धारों के’। उन्होंने यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अथक परिश्रम को रेखांकित करने के लिए कही। आज भारत हर दिन कई नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है और यह सब मोदी जी के परिश्रम का परिणाम है।
उन्होंने कहा कि पिछले 11 साल से हमारी सरकार है और इन वर्षों में हमें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। कहीं युद्ध हुए, तो कहीं खाद्य संकट, और कई बार महामारी जैसी स्थिति भी आई। लेकिन इन सभी संकटों को हमारी सरकार ने अच्छे से संभाला है, और आज हम वैश्विक मंच पर मजबूत स्थिति में खड़े हैं।
मालेगांव विस्फोट मामले में न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए नकवी ने कहा कि जब पूरी दुनिया में इस्लाम का सुरक्षा कवच पहनकर आतंक फैलाने की कोशिश की गई, उस समय भारत में भगवा आतंकवाद की अवधारणा स्थापित की गई। इसका उद्देश्य असली आतंकवाद को सुरक्षित करना था। आतंकवादियों को बचाने के लिए राष्ट्रवादियों को निशाने पर लिया गया।
उन्होंने कहा कि इस हमले के समय मैं खुद प्रतिनिधिमंडल में गया था। तब सुरक्षा एजेंसी ने आशंका जताई थी कि इस हमले की आड़ में कुछ राष्ट्रवादियों को फंसाने की कोशिश की जा रही है।
वहीं मतदान पुनरीक्षण को लेकर विरोधी दलों के विरोध पर नकवी ने कहा कि यह सब राजनीति का हिस्सा है। याद कीजिए, जब सीएए लाया गया था, तब भी इन लोगों ने यही कहा था कि लोगों की नागरिकता चली जाएगी। लेकिन क्या किसी की नागरिकता गई? नहीं। इसी तरह ये लोग मतदान पुनरीक्षण को लेकर विरोध कर रहे हैं, लेकिन इस विरोध की कोई प्रासंगिकता नहीं है।