क्या राज ठाकरे का 'डुबो-डुबोकर' मारने वाला बयान मराठी समुदाय से संबंधित है?

सारांश
Key Takeaways
- राज ठाकरे का बयान व्यक्तिगत है, न कि सामूहिक।
- आनंद दुबे ने इसे मराठियों से अलग रखा।
- राजनीतिक बयानबाजी का सामाजिक प्रभाव हो सकता है।
- महाराष्ट्र की संस्कृति मिलजुलकर रहने की है।
- मंत्री माणिकराव कोकाटे पर भी प्रश्न उठाए गए हैं।
मुंबई, 20 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र में ‘मराठी बनाम हिंदी’ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे ने कहा कि जो मराठी लोगों को ‘पटक-पटककर’ मारेगा, हम उसे मुंबई के समुद्र में ‘डुबो-डुबोकर’ मारेंगे। इस बयान पर शिवसेना (यूबीटी) प्रवक्ता आनंद दुबे ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह राज ठाकरे का व्यक्तिगत बयान है और इसका मराठियों से कोई संबंध नहीं है।
आनंद दुबे ने कहा कि भाषा विवाद को लेकर राज ठाकरे और भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के बीच जो तीखी बयानबाजी हो रही है, वह केवल व्यक्तिगत है। निशिकांत दुबे ने पहले कहा था कि हम मराठी लोगों को ‘पटक-पटक कर’ मारेंगे, जबकि राज ठाकरे ने केवल उन्हें ‘डुबो-डुबोकर’ मारने की बात कही। उनका बयान दुबे समाज के लिए नहीं था। मुंबई में मराठी और गैर-मराठी लोग मिलजुलकर रहते हैं। मैं समझता हूं कि इस मामले में कोई कड़वाहट नहीं है।
सीएम देवेंद्र फडणवीस और आदित्य ठाकरे की मुलाकात पर आनंद दुबे ने कहा, “महाराष्ट्र की संस्कृति मिलजुलकर रहने की रही है। हमें पूर्व के नेताओं जैसे विलासराव देशमुख और गोपीनाथ मुंडे को भी याद करना चाहिए। बातचीत करना स्वाभाविक है और इसमें कोई राजनीति नहीं है। अगर हम मुस्कुराकर मिलते हैं, तो यह हमारे बड़प्पन को दर्शाता है।”
आनंद दुबे ने महाराष्ट्र के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे द्वारा विधानसभा में गेम खेलने पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि जो लोग किसानों की बात करते हैं, वे जुआ खेल रहे हैं। हम मुख्यमंत्री देवेंद्र से चाहते हैं कि वे मंत्री के खिलाफ कार्रवाई करें, वरना लोग यही समझेंगे कि इसके पीछे भाजपा का हाथ है।