क्या राजस्थान के सरकारी स्कूलों में बच्चों का नामांकन दो गुना बढ़ा है? : मंत्री मदन दिलावर

सारांश
Key Takeaways
- नामांकन में वृद्धि - सरकारी स्कूलों में बच्चों का नामांकन 12 लाख 27 हजार हुआ है।
- शिक्षा में सुधार - परीक्षा परिणामों में सुधार से सरकारी स्कूलों के प्रति रुझान बढ़ा है।
- नवाचार - शिक्षकों पर दबाव और नई नीतियों के माध्यम से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
- प्रबंधन में प्रगति - राजस्थान का शिक्षा विभाग अब तीसरे स्थान पर है।
- शिक्षकों के लिए निर्देश - स्कूल के समय में केवल शैक्षिक गतिविधियां होंगी।
जयपुर, 4 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। राजस्थान के सरकारी स्कूलों में बच्चों का नामांकन पिछले वर्ष के मुकाबले दुगना से अधिक बढ़ गया है। राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान बताया कि पिछले साल लगभग पांच लाख बच्चों का नामांकन हुआ था। इस वर्ष 12 लाख 27 हजार बच्चों का नामांकन सरकारी स्कूलों में हुआ है, जो कि दुगने से भी ज्यादा है।
मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि सरकारी स्कूलों के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। हमारे परीक्षा परिणाम भी बेहतर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, कोटा में 265 छात्रों ने 93 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए हैं। इनमें से 112 निजी स्कूल के और लगभग 152 सरकारी स्कूल के बच्चे हैं। सरकारी स्कूल के लगभग डेढ़ गुना बच्चों ने 93 प्रतिशत अंक प्राप्त किया है। इसीलिए लोगों का रुझान सरकारी स्कूलों की ओर बढ़ रहा है।
उन्होंने बताया कि भारत सरकार के सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान का शिक्षा विभाग लगातार प्रगति कर रहा है। पहले प्रदेश का शिक्षा विभाग 13वें स्थान पर था, जो अब तीसरे स्थान पर आ गया है। हमारा प्रबंधन पहले से बेहतर हुआ है और अधिकारियों ने शानदार काम किया है, जिसका परिणाम स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है।
उन्होंने बताया कि इस दौरान कुछ नवाचार भी किए गए हैं। हमने स्कूल के रिजल्ट को बेहतर बनाने के लिए शिक्षकों पर दबाव बनाया है कि यदि रिजल्ट अच्छा नहीं होगा तो ट्रांसफर हो सकता है। इन नवाचारों की वजह से अब सरकारी स्कूलों में नामांकन तेजी से बढ़ रहा है। हमने व्यवस्था सुधारने का प्रयास किया है और शिक्षकों को स्कूल में मोबाइल का इस्तेमाल करने से भी मना कर दिया है।
कई शिक्षक पूजा के नाम पर या नमाज पढ़ने के बहाने स्कूल से गायब हो जाते थे। हमने स्पष्ट आदेश दिए हैं कि जो भी पूजा-पाठ करना है, वह स्कूल से पहले या स्कूल के बाद करें। स्कूल के संचालन के समय में केवल शैक्षिक गतिविधियां ही हो सकती हैं, इसके अतिरिक्त कुछ नहीं किया जाएगा।