क्या सुधा मूर्ति ने 3 से 6 वर्ष के बच्चों की पढ़ाई और देखभाल को मौलिक अधिकार बनाने की मांग की?

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क्या सुधा मूर्ति ने 3 से 6 वर्ष के बच्चों की पढ़ाई और देखभाल को मौलिक अधिकार बनाने की मांग की?

सारांश

सुधा मूर्ति ने राज्यसभा में 3 से 6 वर्ष के बच्चों की शिक्षा और देखभाल को मौलिक अधिकार बनाने की मांग की है। उन्होंने इसके लिए कई तर्क प्रस्तुत किए हैं, जो बच्चों के भविष्य को सकारात्मक दिशा में ले जाने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

Key Takeaways

  • शिक्षा और देखभाल को मौलिक अधिकार बनाना
  • प्रारंभिक विकास का महत्व
  • महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार
  • किसी भी बच्चे के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की आवश्यकता
  • बच्चों में दिव्यांगता की पहचान

नई दिल्ली, 12 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। सांसद सुधा मूर्ति ने शुक्रवार को राज्यसभा में देश के छोटे बच्चों की शिक्षा और देखभाल को लेकर एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि 3 से 6 वर्ष की आयु बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण होती है, इसलिए इस उम्र की शिक्षा और पोषण को संविधान में मौलिक अधिकार के रूप में स्थापित करना चाहिए।

सुधा मूर्ति ने बताया कि वर्तमान में संविधान का अनुच्छेद 21ए केवल 6 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा की गारंटी देता है, लेकिन 3 से 6 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए कोई कानूनी प्रावधान नहीं है, जबकि इस दौरान बच्चों का 85 प्रतिशत मस्तिष्क विकसित होता है। उन्होंने इस आयु में प्रारंभिक शिक्षा को अनिवार्य बनाने के लिए कई तर्क प्रस्तुत किए। उनका कहना था कि इस उम्र में बच्चों का मानसिक विकास बहुत तेजी से होता है। जन्म से लेकर 6 वर्ष तक का समय मानसिक विकास का सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है। इस अवधि के दौरान सही पोषण, खेल-खेल में सीखने का अनुभव, और सुरक्षित माहौल की आवश्यकता होती है।

उन्होंने बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार पर बल दिया। उन्होंने बताया कि शोध बताते हैं कि जिन बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा मिलती है, उनकी स्वास्थ्य स्थिति बेहतर होती है, और आगे चलकर ऐसे बच्चों का स्कूल में प्रदर्शन भी उत्कृष्ट रहता है। इसके साथ ही, महिलाओं को नौकरी करने और परिवार को आर्थिक सहायता प्रदान करने में मदद मिलती है। इससे महिलाएं और दादा-दादी को अन्य गतिविधियों के लिए समय मिलता है, जिसमें आर्थिक गतिविधियाँ भी शामिल हैं, जिससे परिवार की आय में वृद्धि होती है।

उन्होंने सदन में बताया कि यदि बच्चों को प्रारंभिक अवस्था में ही सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण देखभाल मिलती है, तो महिलाएं कार्यस्थल पर लौटने में सक्षम हो सकती हैं। इससे परिवार की आय बढ़ती है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। सुधा मूर्ति ने बच्चों में दिव्यांगता की प्रारंभिक पहचान पर भी जोर दिया। उनका कहना था कि छोटे बच्चों की नियमित जांच से समस्याओं की पहचान जल्दी हो जाती है। समय पर उपचार और सहायता मिल सकती है, जिससे बच्चों का जीवन बेहतर बन सकता है। उन्होंने कहा कि बेहतर पोषण और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दिशा में यह कदम जीरो हंगर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए भारत की कोशिशों को सशक्त करेगा।

सुधा मूर्ति ने कहा कि 2025 में एकीकृत बाल विकास सेवा और आंगनबाड़ी प्रणाली के 50 वर्ष पूरे हो रहे हैं। ऐसे में यह छोटे बच्चों के भविष्य को नई दिशा देने का उचित अवसर है। उन्होंने सरकार से तीन महत्वपूर्ण कदम उठाने की अपील की। उन्होंने कहा कि संविधान में नया अनुच्छेद 21बी जोड़ा जाए, जिसके तहत 3 से 6 वर्ष के सभी बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य पोषण, स्वास्थ्य सेवाएं और प्रारंभिक शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाया जाए।

उन्होंने पूरे देश में गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक बाल देखभाल और शिक्षा की व्यवस्था की बात की। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्रों को और मजबूत किया जाए या सरकार चाहें तो कोई अन्य व्यवस्था करे, लेकिन हर बच्चे तक प्रारंभिक शिक्षा पहुंचनी चाहिए। प्रशिक्षण और व्यवस्थाओं को और बेहतर बनाया जाना चाहिए।

उन्हें कहा कि कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण आवश्यक है। आधुनिक शिक्षण विधियां होनी चाहिए। साथ ही बच्चों की जांच, सहायता और विभिन्न सेवाओं को जमीनी स्तर पर बेहतर बनाने पर जोर दिया। सुधा मूर्ति ने कहा कि भारत का भविष्य तभी सुरक्षित है जब बच्चे मजबूत नींव के साथ बड़े हों। उनका कहना था कि एक बच्चे पर प्रारंभिक वर्षों में किया गया निवेश पूरे जीवन भर लाभ देता है और देश की मानव पूंजी को मजबूत करता है।

Point of View

तो यह न केवल उनके भविष्य को प्रभावित करेगा, बल्कि देश के समग्र विकास पर भी असर डालेगा।
NationPress
12/12/2025

Frequently Asked Questions

सुधा मूर्ति ने किस विषय पर प्रस्ताव रखा?
सुधा मूर्ति ने 3 से 6 वर्ष के बच्चों की शिक्षा और देखभाल को मौलिक अधिकार बनाने का प्रस्ताव रखा।
इस उम्र के बच्चों के विकास का महत्व क्या है?
3 से 6 वर्ष की उम्र में बच्चों का मानसिक विकास बहुत तेजी से होता है।
शुरुआती शिक्षा का क्या लाभ है?
शुरुआती शिक्षा से बच्चों का स्वास्थ्य बेहतर होता है और स्कूल में उनका प्रदर्शन भी अच्छा होता है।
क्या यह प्रस्ताव महिलाओं के लिए भी फायदेमंद है?
हाँ, इससे महिलाओं को नौकरी पर लौटने में मदद मिलेगी और परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
क्या यह कदम भारत के लिए महत्वपूर्ण है?
जी हाँ, यह कदम बच्चों के भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए आवश्यक है।
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