क्या राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने फिल्म 'सितारे जमीन पर' देखी? आमिर खान और उनकी टीम भी थीं मौजूद

सारांश
Key Takeaways
- फिल्म ने न्यूरोडायवर्जेंट स्थितियों पर ध्यान केंद्रित किया है।
- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की उपस्थिति ने फिल्म के संदेश को और भी मजबूती दी है।
- आमिर खान का प्रदर्शन प्रशंसनीय है।
नई दिल्ली, २४ जून (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को राष्ट्रपति भवन के सांस्कृतिक केंद्र में फिल्म 'सितारे जमीन पर' की विशेष स्क्रीनिंग में हिस्सा लिया। इस मौके पर फिल्म के निर्माता और मुख्य अभिनेता आमिर खान समेत पूरी टीम भी उपस्थित रही।
फिल्म 'सितारे जमीन पर' मुख्य रूप से उन व्यक्तियों की कहानियों को दर्शाती है, जो न्यूरोडायवर्जेंट स्थितियों से जूझते हैं। यह फिल्म न केवल मनोरंजन करती है, बल्कि समाज में विविधता, समानता और समावेश के महत्व को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करती है।
राष्ट्रपति कार्यालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर कहा, "राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन के सांस्कृतिक केंद्र में फिल्म 'सितारे जमीन पर' देखी। इस फिल्म में न्यूरोडायवर्जेंट स्थितियों से प्रभावित वास्तविक व्यक्तियों की कहानियाँ हैं, जो विविधता, समानता और समावेश का संदेश देती हैं। फिल्म के निर्माता और मुख्य अभिनेता आमिर खान भी फिल्म की टीम के साथ स्क्रीनिंग में उपस्थित थे।"
फिल्म 'सितारे जमीन पर' २० जून को सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई। इसमें आमिर खान ने जूनियर बास्केटबॉल कोच गुलशन अरोड़ा का किरदार निभाया है, जो छोटे कद का है, लेकिन घमंडी है। वह अपनी मां के साथ रहता है, जिसका किरदार अभिनेत्री डॉली अहलूवालिया ने निभाया है। फिल्म में आमिर की पत्नी के किरदार में जेनेलिया डिसूजा हैं।
खेल संस्थान से निलंबित होने के कारण गुलशन अरोड़ा अपनी जिंदगी में गुम हो जाते हैं। एक रात, वह शराब पीकर गाड़ी चलाते हैं और पकड़े जाने पर हाथापाई करने लगते हैं। इस मामले में अदालत उन्हें जेल भेजने के बजाय, कम्युनिटी सर्विस की सजा सुनाती है, जिसमें उन्हें 'डाउन सिंड्रोम' वाले युवाओं की एक फुटबॉल टीम बनाकर उन्हें टूर्नामेंट के लिए तैयार करना होता है।
इस टीम में सुनील (आशीष पेंडसे), सतबीर (आरुष दत्ता), लोटस (आयुष भंसाली), शर्मा जी (रिषि शहानी), गुड्डू (गोपी कृष्ण के. वर्मा), राजू (ऋषभ जैन), बंटू (वेदांत शर्मा), गोलू (सिमरन मंगेशकर), करीम (संवित देसाई) और हरगोविंद (नमन मिश्रा) शामिल हैं। शुरू में गुलशन इन्हें 'पागल' समझता है और गुस्सा और झुंझलाहट से पेश आता है, लेकिन छोटी-छोटी बातें धीरे-धीरे उसका दिल बदल देती हैं।
फिल्म की कहानी ने डाउन सिंड्रोम और न्यूरो डाइवर्जेंस जैसे संवेदनशील मुद्दों पर लोगों का ध्यान आकर्षित किया है।