क्या मीडिया लोकतंत्र की अंतिम रक्षा पंक्ति है? : मुख्यमंत्री स्टालिन
Key Takeaways
- मीडिया की स्वतंत्रता लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करती है।
- मुख्यमंत्री स्टालिन ने इसे अनिवार्य शक्ति बताया।
- पत्रकारों की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है।
- प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा संविधान की भावना को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
- मीडिया को दमन का विरोध करना चाहिए।
चेन्नई, १६ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने रविवार को राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर मीडिया की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए आवाज उठाई। उन्होंने इसे एक अनिवार्य शक्ति बताया जो सत्ता में मौजूद लोगों के दबावों के बावजूद लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखती है।
मुख्यमंत्री स्टालिन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर कड़े शब्दों में कहा कि वर्तमान राजनीतिक माहौल में पत्रकारों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है। उनके अनुसार, देशभर में अनेक संस्थानों को केंद्र सरकार ने झुका दिया है या उन पर कब्जा कर लिया है। ऐसे समय में, प्रेस एक प्रहरी की तरह कार्य करता है और यह सुनिश्चित करता है कि लोकतंत्र अपनी पकड़ न खो दे।
स्टालिन ने उन पत्रकारों की प्रशंसा की जो धमकियों, दबावों और असहमति को दबाने के प्रयासों के बावजूद, सार्वजनिक महत्व के मुद्दों पर निडर होकर रिपोर्टिंग करते रहते हैं।
उन्होंने बताया कि प्रेस का कार्य, जो कई बार चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में किया जाता है, शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए आवश्यक है। बिना इस तरह की जांच के, लोकतांत्रिक प्रणाली गंभीर रूप से प्रभावित होगी।
स्टालिन ने जोर दिया कि एक स्वतंत्र, जिंदा और स्वतंत्र मीडिया सिर्फ एक लोकतांत्रिक आदर्श नहीं है, बल्कि एक आवश्यकता भी है। उन्होंने तर्क किया कि प्रेस की स्वतंत्रता की हर कीमत पर रक्षा की जानी चाहिए, क्योंकि यही संविधान की भावना को बनाए रखने और नागरिकों को सूचित निर्णय लेने के लिए आवश्यक जानकारी प्रदान करने का एकमात्र तरीका है।
उन्होंने पत्रकारों को याद दिलाया कि उनकी ऐतिहासिक भूमिका नागरिक स्वतंत्रता की रक्षा करने और लोगों की आवाज़ को बुलंद करने में महत्वपूर्ण है, खासकर जब असहमति को हतोत्साहित किया जाता है। उन्होंने कहा कि मीडिया को दमन का विरोध करने और सच्चाई की रक्षा करने में दृढ़ रहना चाहिए।