क्या भारतीय सेना रेगिस्तानी युद्धक्षेत्र में कंबाइंड आर्म्स ऑपरेशंस कर रही है?

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क्या भारतीय सेना रेगिस्तानी युद्धक्षेत्र में कंबाइंड आर्म्स ऑपरेशंस कर रही है?

सारांश

क्या आप जानते हैं कि भारतीय सेना की ‘थार रैप्टर ब्रिगेड’ रेगिस्तानी युद्धक्षेत्र में कंबाइंड आर्म्स ऑपरेशंस कर रही है? इस अभ्यास का उद्देश्य विभिन्न सेनाओं के बीच तालमेल और तकनीकी दक्षता को बढ़ाना है। जानिए इस महत्वपूर्ण अभियान के बारे में और कैसे यह भारतीय सेना की ताकत को प्रदर्शित करता है।

Key Takeaways

  • भारतीय सेना की थार रैप्टर ब्रिगेड का कंबाइंड आर्म्स ऑपरेशंस में योगदान।
  • अभ्यास का उद्देश्य युद्ध तत्परता और समन्वय में सुधार
  • सभी सेनाओं के बीच सामंजस्य को बढ़ाना।
  • विभिन्न भू-भागों में एकीकृत अभियानों का प्रदर्शन।
  • भविष्य के युद्धक्षेत्र के लिए तैयारी

नई दिल्ली, 7 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय सेना की ‘थार रैप्टर ब्रिगेड’ असली रेगिस्तानी युद्धक्षेत्र में उच्च तीव्रता वाले कंबाइंड आर्म्स ऑपरेशंस का संचालन कर रही है। यह अभ्यास ऑपरेशंस एक्सरसाइज त्रिशूल के तहत किया जा रहा है। इसमें थार रैप्टर ब्रिगेड की एविशन इकाइयां, ‘सुदर्शन चक्र’ और ‘कोणार्क’ कोर के मैकेनाइज्ड फॉर्मेशन्स के साथ मिलकर कार्य किया जा रहा है। यह संपूर्ण अभियान भारतीय सेना की दक्षिण कमान के अधीन है।

भारतीय सेना के अनुसार, यह युद्धाभ्यास दक्षिण कमान के मरु अभ्यासों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। दक्षिण कमान ने मरुस्थल में ‘मरुज्वाला’ और ‘अखंड प्रहार’ जैसे शक्तिशाली युद्धाभ्यास आयोजित किए हैं। यह अभ्यास त्रि-सेवा (आर्मी, नेवी, एयरफोर्स) फ्रेमवर्क ‘एक्सरसाइज त्रिशूल’ के अंतर्गत किया जा रहा है।

इन अभियानों का मुख्य उद्देश्य संयुक्त एविशन, मैकेनाइज्ड टैक्टिक्स, तकनीक और प्रक्रियाओं में सुधार और प्रमाणित करना है। इस कठिन अभ्यास के माध्यम से जवानों के बीच तालमेल, समन्वय और युद्ध तत्परता में वृद्धि की जाएगी। अभ्यास के दौरान निगरानी एवं टोही मिशन, स्पेशल हेलिबोर्न ऑपरेशन्स, त्वरित सैनिक तैनाती और नजदीकी हवाई समर्थन जैसी विविध एविशन कार्रवाइयों का प्रदर्शन किया गया। इन अभ्यासों ने तकनीकी सामंजस्य, संचालन दक्षता और संयुक्तता की भावना को मजबूती से प्रदर्शित किया है।

सेना का कहना है कि इन कठोर एवं यथार्थपरक अभ्यासों के माध्यम से, दक्षिण कमान निरंतर भविष्य के युद्धक्षेत्र को आकार दे रही है। यह दर्शाता है कि भारतीय सशस्त्र बल एकजुट, लचीले और तकनीकी रूप से उन्नत बल के रूप में किसी भी उभरती चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह सक्षम हैं।

गौरतलब है कि नौसेना, वायुसेना और थलसेना के वीर जवान ‘एक्सरसाइज त्रिशूल’ का संचालन कर रहे हैं। यह एक प्रमुख त्रि-सेवा अभियान है जो भारतीय थलसेना, नौसेना और वायुसेना के बीच सहयोग और इंटरऑपरेबिलिटी को मजबूत करने के उद्देश्य से किया जा रहा है। भारतीय नौसेना के नेतृत्व में थलसेना और भारतीय वायुसेना के साथ यह त्रि-सेवा संयुक्त सैन्य अभ्यास, अब तक के सबसे महत्वपूर्ण युद्धाभ्यासों में शामिल है।

इस व्यापक अभ्यास के दौरान तीनों सेनाएं विभिन्न भू-भागों जैसे कि मरुस्थल, तटीय क्षेत्रों और समुद्री क्षेत्रों में एकीकृत अभियानों का प्रदर्शन कर रही हैं। इससे तीनों सेनाओं की सिनर्जी और इंटीग्रेटेड ऑपरेशंस की वास्तविक क्षमता का मूल्यांकन किया जाएगा।

अभ्यास ‘त्रिशूल’ भारतीय सशस्त्र सेनाओं की उस अटूट भावना का प्रतीक है जो देश की सीमाओं की रक्षा के लिए संयुक्त शक्ति और समन्वित प्रयासों पर आधारित है।

Point of View

बल्कि यह दर्शाता है कि भारतीय सेना हर परिस्थिति में अपनी क्षमताओं को विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
NationPress
07/11/2025

Frequently Asked Questions

एक्सरसाइज त्रिशूल का उद्देश्य क्या है?
एक्सरसाइज त्रिशूल का उद्देश्य भारतीय थलसेना, नौसेना और वायुसेना के बीच समन्वय और इंटरऑपरेबिलिटी को सुदृढ़ करना है।
इन अभ्यासों का महत्व क्या है?
ये अभ्यास युद्ध तत्परता, तकनीकी दक्षता और सामंजस्य को बढ़ाने में मदद करते हैं।
इन अभियानों में कौन-कौन से बल शामिल हैं?
इन अभियानों में भारतीय थलसेना, नौसेना और वायुसेना शामिल हैं।
ये अभ्यास किस क्षेत्र में हो रहे हैं?
ये अभ्यास रेगिस्तानी युद्धक्षेत्र में हो रहे हैं।
क्या ये अभ्यास त्रि-सेवा हैं?
हाँ, ये अभ्यास त्रि-सेवा (आर्मी, नेवी, एयरफोर्स) के तहत किए जा रहे हैं।