क्या 11 अगस्त का आदेश वापस लिया गया है? आवारा कुत्तों को हटाने के निर्देश पर सुप्रीम कोर्ट के वकील
सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट द्वारा आवारा कुत्तों के लिए नए निर्देश जारी किए गए हैं।
- 11 अगस्त का पूर्व आदेश अब वापस लिया गया है।
- आवारा कुत्तों को सार्वजनिक स्थलों से हटाने के लिए अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी।
- सभी राज्यों को इस आदेश का पालन करना होगा।
- आवारा पशुओं को निर्दिष्ट आश्रय स्थलों में स्थानांतरित किया जाएगा।
नई दिल्ली, 7 नवंबर (आईएएनएल)। सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक स्थलों पर आवारा कुत्तों की सुरक्षा और सड़कों से आवारा मवेशियों को हटाने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट के वकीलों ने शुक्रवार को बताया कि 11 अगस्त का आदेश फिर से वापस ले लिया गया है। वकीलों ने इस निर्णय को सख्त और चिंताजनक बताया।
एक प्रमुख समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से खास बातचीत में सुप्रीम कोर्ट की वकील नमिता शर्मा ने कहा, "11 अगस्त का आदेश फिर से लागू किया गया है। यह लगभग वैसा ही है, लेकिन इसमें कुछ बदलाव किए गए हैं। अब आवारा कुत्तों को सभी प्रकार के संस्थानों, हॉस्पिटल, स्कूल और बस स्टैंड से हटाकर अन्य स्थानों पर ले जाया जाएगा। इसके लिए अधिकारियों की नियुक्ति भी की जाएगी ताकि वे वापस न लौटें। यह एक कठोर आदेश है, लेकिन मुझे अभी भी थोड़ी उम्मीद है।"
वकील विवेक शर्मा ने कहा कि अंततः सभी बेजुबान जानवरों को हटा दिया जाएगा। गोवा कोर्ट ने हाल ही में स्पष्ट किया कि सरकारी रिकॉर्ड में पिछले तीन वर्षों में केवल 372 कुत्तों द्वारा काटने के मामले दर्ज हैं, जबकि वास्तविक आंकड़ा 37,387 है। आज का आदेश पुराने आदेश की समीक्षा है, बिना याचिकाकर्ताओं को सुने। सरकार के लिए आश्रय घर बनाना भी संभव नहीं है।"
सुप्रीम कोर्ट के वकील सुनील लांबा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि राष्ट्रीय राजमार्गों से सभी आवारा कुत्तों और मवेशियों को तुरंत हटाया जाए। यह जिम्मेदारी पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट और नगर निगमों को दी गई है ताकि वे आठ हफ्तों के अंदर उन्हें हटा सकें। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि नोडल अधिकारी इस आदेश को लागू करने के लिए जवाबदेह होंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आवारा कुत्तों के मामले में कई महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने प्रमुख सार्वजनिक स्थानों पर आवारा कुत्तों के बढ़ते खतरे से बचाने और राजमार्गों से आवारा मवेशियों व अन्य जानवरों को हटाने के लिए कई निर्देश दिए।
देश भर में आवारा कुत्तों के प्रबंधन के मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने सुनवाई की। उन्होंने आदेश दिया कि आवारा कुत्तों के प्रवेश को रोकने के लिए प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल, सार्वजनिक खेल परिसर, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन पर उचित बाड़ लगाई जाए।
न्यायमूर्ति नाथ की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्थानीय नगर निकायों को ऐसे परिसरों की नियमित निगरानी करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही, उन्होंने पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियम, 2023 के तहत अनिवार्य टीकाकरण और नसबंदी के बाद जानवरों को निर्दिष्ट आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया।
शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि इन सार्वजनिक स्थानों से हटाए गए कुत्तों को उसी स्थान पर वापस नहीं लाया जाना चाहिए। साथ ही, कोर्ट ने समय-समय पर निरीक्षण करने का निर्देश दिया। पीठ ने राजमार्गों से आवारा पशुओं और अन्य जानवरों को तुरंत हटाने का भी आदेश दिया। पीठ ने कहा कि ऐसे जानवरों को बिना किसी देरी के निर्दिष्ट आश्रय स्थलों में पहुंचाया जाए।
शीर्ष अदालत ने आदेश दिया है कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव इसका कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करें। अन्यथा, अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराया जाएगा। साथ ही, निर्देशों को लागू करने के लिए अपनाई गई व्यवस्थाओं के लिए आठ हफ्तों के अंदर अनुपालन स्थिति रिपोर्ट (कंप्लायंस स्टेटस रिपोर्ट) मांगी जाएगी।