क्या भारत फरवरी 2026 में समुद्री सहयोग के लिए तीन मेगा इवेंट की मेजबानी करेगा?
 
                                सारांश
Key Takeaways
- भारत फरवरी 2026 में समुद्री सहयोग के लिए तीन बड़े कार्यक्रम आयोजित करेगा।
- इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू में भारतीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की समीक्षा होगी।
- विशाखापट्टनम, जो पूर्वी नौसैनिक द्वार है, इस आयोजन के लिए उपयुक्त स्थान है।
- इस आयोजन से स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ मिलेगा।
- भारत की नौसैनिक क्षमता का प्रदर्शन होगा।
नई दिल्ली, 31 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत फरवरी 2026 में हिंद महासागर क्षेत्र के तटीय देशों की नौसेनाओं के बीच समुद्री सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक की मेज़बानी करेगा। इस दौरान तीन बड़े अंतरराष्ट्रीय समुद्री कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। भारतीय नौसेना 15 से 25 फरवरी 2026 के बीच विशाखापट्टनम में इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू, एक्सरसाइज मिलन 2026 और इंडियन ओसियन नेवल सिंपोजियम कॉन्क्लेव ऑफ चीफ्स का आयोजन करेगी।
यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण होगा, क्योंकि यह पहली बार है जब इतने महत्वपूर्ण समुद्री आयोजनों की मेज़बानी एक साथ की जा रही है।
इस आयोजन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'महासागर' दृष्टिकोण के कार्यान्वयन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। महासागर का अर्थ है सुरक्षा और विकास के लिए आपसी सहयोग। यह पहले की सागर (सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन) नीति का विस्तार है, जो अब हिंद महासागर क्षेत्र से बाहर जाकर वैश्विक समुद्री सहयोग को शामिल करती है।
इस आयोजन के माध्यम से भारत अपनी नौसैनिक क्षमता को प्रदर्शित करने के साथ-साथ एक भरोसेमंद सुरक्षा साझेदार के रूप में अपनी प्रतिबद्धता भी दर्शाएगा। दुनियाभर की नौसेनाओं को इस ऐतिहासिक समारोह में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है।
विशाखापट्टनम, जिसे देश का पूर्वी नौसैनिक द्वार कहा जाता है, इस आयोजन के लिए एकदम उपयुक्त स्थान है। यहाँ भारत की ईस्टर्न नेवल कमांड स्थित है, और शहर की समुद्री विरासत, संग्रहालयों और तटीय सौंदर्य इसे और भी भव्य बनाएगा।
इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू के दौरान भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू समुद्र में नौसैनिक जहाजों की भव्य परेड का अवलोकन करेंगी। इसमें भारत के स्वदेशी जहाज जैसे आईएनएस विक्रांत, विशाखापट्टनम-क्लास डेस्ट्रॉयर, नीलगिरी-क्लास फ्रिगेट और अर्नाला-क्लास एंटी-सबमरीन वॉरफेयर कॉर्वेट शामिल होंगे। इसके साथ-साथ विदेशी नौसेनाओं के जहाज, भारतीय तटरक्षक बल और मर्चेंट नेवी के जहाज भी शामिल होंगे, जो भारत की बिल्डर्स नेवी बनने की दिशा में प्रगति को दिखाएंगे।
मिलन 2026 अभ्यास में समुद्र और बंदरगाह दोनों चरण होंगे, जिनका मुख्य उद्देश्य विभिन्न नौसेनाओं के बीच आपसी तालमेल और प्रशिक्षण को मजबूत करना होगा। इस दौरान एंटी-सबमरीन वॉरफेयर, एयर डिफेंस, सर्च एंड रेस्क्यू और मैरिटाइम डोमेन अवेयरनेस जैसे विषयों पर अभ्यास किया जाएगा। साथ ही, इंटरनेशनल सिटी परेड में नौसेना, थल सेना और वायु सेना के दल विशाखापट्टनम के मशहूर आरके बीच रोड पर मार्च करते दिखाई देंगे, जो जनता के लिए एक शानदार दृश्य होगा।
इस दौरान एक अंतरराष्ट्रीय समुद्री सेमिनार भी आयोजित होगा, जिसमें विशेषज्ञ, रक्षा अधिकारी और उद्योग जगत के प्रतिनिधि तकनीकी सहयोग, आपदा राहत और समुद्री सुरक्षा पर विचार-विमर्श करेंगे। वहीं, आईओएनएस कॉन्क्लेव ऑफ चीफ्स में 25 सदस्य देशों और 9 प्रेक्षक देशों के नौसेना प्रमुख भी भाग लेंगे। भारत 2025 से 2027 तक इस संगठन की अध्यक्षता भी संभालेगा।
इस आयोजन से भारत की नौसैनिक क्षमता और कूटनीतिक ताकत का प्रदर्शन होगा, साथ ही स्थानीय स्तर पर पर्यटन, आतिथ्य और सेवा क्षेत्र को भी बड़ा आर्थिक लाभ मिलेगा। रक्षा, गृह, विदेश, पर्यटन और संस्कृति मंत्रालयों के साथ-साथ आंध्र प्रदेश सरकार की सहभागिता से यह आयोजन भारत की समुद्री कूटनीति का एक ऐतिहासिक अध्याय बनेगा।
 
                     
                                             
                                             
                                             
                                            