क्या सतत योजना से मेरठ में उर्जा और रोजगार में वृद्धि संभव है?

सारांश
Key Takeaways
- सतत योजना का लक्ष्य कंप्रेस्ड बायो गैस का उत्पादन है।
- इससे रोजगार के नए अवसर उत्पन्न हो रहे हैं।
- स्थानीय किसान और युवा इस योजना से लाभान्वित हो रहे हैं।
- सरकार की पहल से पर्यावरण की सुरक्षा हो रही है।
- उद्योगों के विकास से क्षेत्र की आर्थिकी मजबूत हो रही है।
मेरठ, 20 जून (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार ने 2018 में सतत (सस्ती परिवहन के लिए सतत विकल्प) योजना की शुरुआत की थी। इसका मुख्य उद्देश्य टिकाऊ और सस्ते परिवहन ईंधन के रूप में कंप्रेस्ड बायो गैस (सीबीजी) के उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा देना है। यह सरकारी पहल अब जमीनी स्तर पर सफल होती दिखाई दे रही है, जिससे रोजगार के अवसरों में वृद्धि हो रही है।
यह योजना अक्टूबर 2018 में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन जैसी सार्वजनिक तेल विपणन कंपनियों के सहयोग से शुरू की गई थी। मेरठ में भी इस योजना के तहत एक प्लांट स्थापित किया गया है, जिससे स्थानीय किसान और युवा लाभान्वित हो रहे हैं।
मेरठ स्थित कंपनी एचपीआरजीई के सीईओ मोहित धवन ने कहा, "हमारे पास जो जैविक अपशिष्ट होते थे, उन्हें पहले वेस्ट माना जाता था। अब उन सभी चीजों को एकत्रित करके केमिकल प्रोसेस द्वारा एक संपत्ति के रूप में विकसित किया जा रहा है। सतत स्कीम में कोई भी इस सीबीजी प्लांट को स्थापित कर सकता है।"
कार्बन सर्किल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अंकुर जग्गी ने कहा कि मूलतः प्रेस मड, जो कि शुगर फैक्ट्री का एक बाय प्रोडक्ट होता है, और गाय के गोबर के मिश्रण से गैस बनाई जाती है।
जीपीएमओपी एंड एनजी के निदेशक विकास सिंह ने कहा, "सतत एनर्जी का मुख्य उद्देश्य है वेस्ट से एनर्जी बनाना, चाहे वह परली हो, सुगरकेन इंडस्ट्री से हो या फिर म्युनिसिपल सॉलिड वेस्ट हो, जो घरों से निकलता है, या फिर गोबर जिससे हम गैस बना सकते हैं।"
सर्किल सीबीजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक ललित कुमार जग्गी ने बताया कि यदि हम वेस्ट से एनर्जी नहीं बनाएंगे, तो यह ऐसे ही पड़ा रहेगा, जो पर्यावरण के लिए अच्छा नहीं है।
आदेश कुमार भाटी ने कहा कि सरकार की इस स्कीम से रोजगार में वृद्धि हुई है। क्षेत्र में उद्योग लगने से ड्राइवर, कंडक्टर, और मजदूरों के लिए खुशी आई है। प्लांट में स्नातक स्तर के पढ़े-लिखे लोग भी नौकरी कर रहे हैं।
समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए अरुण कुमार ने कहा कि 'सतत स्कीम' से हमें बहुत लाभ हुआ है। मुझे ठेकेदार का काम मिला है, जिससे मुझे काफी फायदा हुआ है। मेरे ट्रैक्टर यहां चल रहे हैं। मेरे मजदूर यहां लगे हुए हैं। मैं खाद भी बाहर भेज रहा हूं। यहां के स्थानीय निवासियों और किसानों को बहुत फायदा हुआ है। ऐसे प्रोजेक्ट लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी धन्यवाद और बधाई के पात्र हैं।
जोगिंदर सिंह ने कहा कि हम यहां से जैविक खाद ले जाते हैं। खाद अपने खेतों के साथ-साथ दूसरे किसानों के यहां भी पहुंचाते हैं। स्थानीय लोगों को इससे बहुत रोजगार मिला है। हमारे खुद के टैंक अब यहां पर चलने लग गए हैं और हमें भी रोजगार मिला है और खेती को बहुत लाभ मिला है जैविक खाद से। इसके लिए हम प्रधानमंत्री का शुक्रिया अदा करते हैं।
मोहित चौधरी ने कहा, "हम यहां टैंकर चलते हैं। हमारा खुद का टैंकर है। हम जैविक खाद किसानों के यहां और अपने यहां भी लेकर जाते हैं। इससे फायदा हुआ है।"
शहाबुद्दीन सैफी ने कहा, "मैं इस कंपनी में ड्राइवर हूं। इस प्लांट से हमें बहुत फायदा हुआ। अपने घर के पास रोजगार मिला है।"