क्या शहडोल के मिनी ब्राजील के खिलाड़ी जर्मनी में मिली फुटबॉल तकनीक से नई उड़ान भरेंगे?

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क्या शहडोल के मिनी ब्राजील के खिलाड़ी जर्मनी में मिली फुटबॉल तकनीक से नई उड़ान भरेंगे?

सारांश

शहडोल के विचारपुर गांव के युवा फुटबॉल खिलाड़ियों को जर्मनी में विशेष प्रशिक्षण मिला है। लौटने के बाद, ये खिलाड़ी अपने गांव के अन्य युवाओं को फुटबॉल की आधुनिक तकनीक सिखा रहे हैं। क्या ये खिलाड़ी जर्मनी में सीखी गई तकनीकों से नई ऊंचाइयों को छू पाएंगे?

Key Takeaways

  • विचारपुर गांव में फुटबॉल का जुनून है।
  • जर्मनी में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले खिलाड़ी लौटे हैं।
  • खिलाड़ियों ने गांव के अन्य युवाओं को आधुनिक तकनीक सिखाने का प्रयास किया।
  • प्रधानमंत्री का समर्थन खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा है।
  • खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने की दिशा में अग्रसर हैं।

शहडोल, 23 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के शहडोल जिले का विचारपुर गांव, जिसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिनी ब्राजील के नाम से जाना जाता है, में फुटबॉल के प्रति एक अनोखा जुनून है। यहां के युवा फुटबॉल को अन्य खेलों के मुकाबले अधिक पसंद करते हैं। इस गांव के 5 प्रतिभाशाली फुटबॉल खिलाड़ियों और एक कोच को विशेष प्रशिक्षण हेतु जर्मनी भेजा गया था। लौटने के बाद, ये खिलाड़ी गांव के अन्य युवाओं को फुटबॉल की आधुनिक तकनीक सिखा रहे हैं।

प्रधानमंत्री द्वारा अमेरिकन पॉडकास्टर के साथ बातचीत और मन की बात कार्यक्रम में मिनी ब्राजील का जिक्र करने से प्रेरित होकर जर्मनी के फुटबॉल कोच डायटमार बेयर्सडॉर्फर ने विचारपुर के खिलाड़ियों को 6 दिवसीय विशेष प्रशिक्षण के लिए आमंत्रित किया था। जर्मनी से लौटे इन खिलाड़ियों ने राष्ट्र प्रेस के साथ अपनी अनुभव साझा की और प्रधानमंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया।

कोच लक्ष्मी सईस ने कहा, "मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देना चाहती हूं। उन्होंने हमारे गांव का जिक्र मन की बात में किया। उनकी वजह से हमें जर्मनी जाकर फुटबॉल का अभ्यास करने का अवसर मिला। हमें वहां अच्छे प्रशिक्षक मिले जिन्होंने खेल के तकनीकी पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया। मैंने जो सीखा है, वह विचारपुर के युवा खिलाड़ियों को सिखाना चाहती हूं ताकि वे भविष्य में बेहतरीन प्रदर्शन कर सकें।"

सुहानी कोल ने कहा, "जर्मनी जाकर फुटबॉल की बारीकियों को सीखना एक अद्भुत अनुभव था। वहां हमें व्यक्तिगत स्तर पर प्रशिक्षक मिले थे। मुझे आशा है कि विचारपुर में भी ऐसे प्रशिक्षक उपलब्ध कराए जाएं।"

प्रीतम कुमार ने कहा, "जर्मनी में हमें नई तकनीक सीखने का मौका मिला। हमें इन तकनीकों का अभ्यास करना है और अपने साथियों को भी सिखाना है।"

सानिया कुंडे ने कहा, "जर्मनी जाकर बहुत अच्छा लगा। वहां हमने कुछ ऐसे नए तरीके सीखे, जो हमें शहडोल में नहीं मिल सके।"

सांसद हिमाद्री सिंह ने कहा, "मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री मोहन यादव को धन्यवाद देती हूं। जर्मनी में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले बच्चे निश्चित रूप से भविष्य में अच्छा करेंगे।"

खेल युवा कल्याण विभाग, शहडोल के कॉर्डिनेटर अजय सोंधिया ने कहा, "विचारपुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। यहां के बच्चे फुटबॉल में मेहनत कर रहे हैं। जर्मनी जाकर सभी ने फुटबॉल से जुड़ी आधुनिक तकनीक सीखी।"

Point of View

बल्कि यह दर्शाता है कि छोटे गांवों में भी प्रतिभा और संभावनाएं निहित हैं। सरकार और स्थानीय नेताओं की भूमिका इस तरह की पहलों में महत्वपूर्ण है, और यह उम्मीद की किरण है कि आने वाले समय में ये युवा खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करेंगे।
NationPress
23/10/2025

Frequently Asked Questions

विचारपुर गांव को मिनी ब्राजील क्यों कहा जाता है?
यहां के युवा फुटबॉल के प्रति गहरी रुचि रखते हैं और फुटबॉल के लिए समर्पित हैं।
जर्मनी में खिलाड़ियों को किस प्रकार का प्रशिक्षण मिला?
उन्हें फुटबॉल की आधुनिक तकनीक और खेल के तकनीकी पहलुओं पर विशेष प्रशिक्षण दिया गया।
प्रधानमंत्री ने इस गांव का जिक्र क्यों किया?
प्रधानमंत्री ने इसे मन की बात कार्यक्रम में उल्लेखित किया था, जिससे गांव को पहचान मिली।
खिलाड़ियों ने अपने अनुभव साझा क्यों किए?
उन्होंने गांव के अन्य युवाओं को प्रेरित करने और अपनी सीखी हुई तकनीक साझा करने के लिए अनुभव साझा किए।
क्या विचारपुर के बच्चे भविष्य में राष्ट्रीय स्तर पर खेल सकते हैं?
हाँ, उन्हें जर्मनी में मिले प्रशिक्षण से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है।