क्या श्री चक्र मंदिर में चढ़ाया गया हर प्रसाद जरूरतमंदों का भोजन बनता है?
सारांश
Key Takeaways
- श्री चक्र मंदिर आस्था और विश्वास का प्रतीक है।
- यह मंदिर मूक प्राणियों के लिए भी एक आश्रय है।
- चढ़ाया गया प्रसाद जरूरतमंदों में बाँटा जाता है।
- यहाँ की व्यवस्था दया और करुणा को दर्शाती है।
- मंदिर का संचालन मानवता के प्रति गहरी सोच को दिखाता है।
नई दिल्ली, २५ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत में स्थापित सभी देवी-देवताओं के मंदिर आस्था और विश्वास का प्रतीक होते हैं। ये मंदिर जनमानस को अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए पूजा करने हेतु आकर्षित करते हैं।
तमिलनाडु के होसुर में स्थित श्री चक्र मंदिर केवल आस्था का स्थल नहीं, बल्कि मूक प्राणियों और जरूरतमंदों के लिए एक आश्रय भी है, जहाँ उनकी भोजन की व्यवस्था की जाती है।
गोकुल नगर में, ब्रह्मा हिल्स रोड के निकट पहाड़ी पर श्री चक्र मंदिर का निर्माण किया गया है। यह मंदिर अपनी आस्था के साथ-साथ मानवता का एक अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करता है। यहाँ एक गोल पत्थर पर बने चक्र की पूजा होती है, जिसे एशिया के सबसे बड़े श्री चक्र मंदिरों में से एक माना जाता है। चक्र पर अनेक रेखाएँ बनी हुई हैं, जो कुंडली के चार्ट जैसी प्रतीत होती हैं। मंदिर में स्थित चक्र ब्रह्मांड के त्रैतीय विभाजन को दर्शाता है, जिसमें पृथ्वी, वायुमंडल और सूर्य शामिल हैं। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में पूजा करने से जीवन के समस्त दोष और संकट दूर हो जाते हैं।
इस चक्र को शरीर, श्वास और चेतना से जोड़ा गया है, जिसमें गर्दन से सिर, गर्दन से नाभि, और नाभि से निचले धड़ को शामिल किया गया है। इसे मानव शरीर के सात चक्रों से जोड़ा गया है।
मंदिर की विशेषता यह है कि यहाँ चक्र और अन्य देवी-देवताओं पर चढ़ाया गया जल, दूध या फल व्यर्थ नहीं जाते। चक्र के नीचे एक भूमिगत पाइप स्थापित किया गया है, जिससे चढ़ाया गया दूध बाहर की बाल्टी में जाता है, जो पशुओं के लिए होती है। दूध और जल को आवारा कुत्तों, गायों और पक्षियों में वितरित किया जाता है। मंदिर में चढ़ाए गए सभी फल और मिठाइयाँ जरूरतमंदों में बाँट दी जाती हैं।
मंदिर की यह अनूठी व्यवस्था मानवीय पूजा से परे, पशुओं के प्रति गहरी दयालुता को दर्शाती है। यहाँ के संचालक सुनिश्चित करते हैं कि जानवरों को ताजगी और पोषण से भरपूर भोजन मिले। इसी कारण मंदिर के बाहर रहने वाला हर जरूरतमंद व्यक्ति और प्राणी कभी भी भूखा नहीं रहता।