क्या एसआईआर एक समावेशी प्रक्रिया होनी चाहिए, बहिष्कृत करने वाली नहीं? - कार्ति चिदंबरम
सारांश
Key Takeaways
- समावेशी प्रक्रिया की आवश्यकता
- मतदाता सूची की सत्यापन प्रक्रिया
- राजनीतिक दलों की सक्रियता
- शरारतपूर्ण गतिविधियों का निरोध
- अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक समझौते
मदुरै, 31 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते तथा तमिलनाडु में विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) प्रक्रिया पर अपने विचार व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए एसआईआर (विशेष गहन पुनरीक्षण) के दूसरे चरण के संदर्भ में मतदाता सूची की जांच और सत्यापन करना एक अच्छी सोच है, लेकिन जिन व्यक्तियों का पहले से ही नाम मतदाता सूची में है और जिन्होंने पिछले चुनावों में मतदान किया है, उन्हें बिना किसी कारण के हटाया नहीं जा सकता।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह एक समावेशी प्रक्रिया होनी चाहिए, न कि बहिष्कृत करने वाली। नाम हटाने की प्रक्रिया शरारतपूर्ण तरीके से नहीं होनी चाहिए। तमिलनाडु में, राजनीतिक दल बहुत मजबूत हैं और उनके पास ऐसे कार्यकर्ता हैं जो चुनाव आयोग की गतिविधियों पर नज़र रखते हैं।
उन्होंने कहा कि निर्वाचक भूमिका की समीक्षा आवश्यक है, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि यह पूरी प्रक्रिया समावेशी हो। यदि किसी व्यक्ति का नाम हटाया जा रहा है, तो उसे उचित सूचना दी जानी चाहिए। नाम हटाने का काम मनमाने तरीके से नहीं होना चाहिए, और नाम जोड़ने का कार्य उचित जांच के बाद ही किया जाना चाहिए।
कार्ति चिदंबरम ने कहा कि यदि नाम हटाने और जोड़ने की प्रक्रिया सत्यापन सूचना के आधार पर की जाती है, तो यह एक स्वीकृत प्रक्रिया होगी। तमिलनाडु में राजनीतिक दल संगठित हैं, और यदि कोई एसआईआर के नाम पर शरारत करना चाहता है, तो वह सफल नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि हमने बूथ स्तर पर अपने कार्यकर्ताओं को सतर्क रहने के लिए जागरूक किया है। भारत के अन्य हिस्सों में जो भी दुस्साहस हुआ है, हमारी कार्यकर्ता शक्ति उसे तमिलनाडु में नहीं होने देगी।
कांग्रेस सांसद ने यह भी कहा कि अमेरिका अंततः हर प्रमुख व्यापारिक समूह और देश के साथ किसी न किसी समझौते पर पहुंच जाएगा। अमेरिकी अर्थव्यवस्था वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ एकीकृत है, इसलिए वे किसी एक समूह या अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्था से अलग नहीं रह सकते। अमेरिका में इस समय एक अपरंपरागत राष्ट्रपति हैं, जिससे बातचीत और कूटनीति के सामान्य नियम कभी-कभी बेमानी लगते हैं।