क्या अखिलेश यादव सिर्फ वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं? महंत दयाराम दास की प्रतिक्रिया

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क्या अखिलेश यादव सिर्फ वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं? महंत दयाराम दास की प्रतिक्रिया

सारांश

क्या अखिलेश यादव सिर्फ वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं? महंत दयाराम दास ने इस मुद्दे पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी है। जानिए इस विवाद में क्या है सच और क्या है राजनीति का खेल।

Key Takeaways

  • अखिलेश यादव की मस्जिद में बैठक पर विवाद।
  • महंत दयाराम दास की तीखी प्रतिक्रिया।
  • धर्म और राजनीति का संगम।
  • सपा सांसदों का बचाव।
  • भाजपा की मानसिकता पर सवाल।

ऋषिकेश, 23 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव और अन्य सांसदों द्वारा संसद भवन के निकट एक मस्जिद में बैठक करने का मामला चर्चा में है। इस पर राम तपस्थली आश्रम के महंत और विरक्त वैष्णव मंडल के अध्यक्ष स्वामी दयाराम दास महाराज ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।

महंत दयाराम दास ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि अखिलेश यादव स्वयं हिंदू हैं और सनातन धर्म का पालन करते हैं। मस्जिद में बैठक करना तुष्टीकरण की राजनीति को दर्शाता है। यह बैठक मंदिर में धर्मगुरुओं के साथ भी की जा सकती थी।

उन्होंने यह भी कहा कि अखिलेश यादव का असली उद्देश्य स्पष्ट है; वह केवल वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं। बिना हिंदुओं का समर्थन हासिल किए सत्ता पाना असंभव है। महंत ने कहा कि धर्मगुरु किसी भी राजनीतिक पार्टी से नहीं जुड़े होते हैं। यदि अखिलेश यादव धर्मगुरुओं को निशाना बनाते हैं, तो कोई भी सनातनी उनका समर्थन नहीं करेगा।

इस बीच, सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने पार्टी नेताओं का बचाव करते हुए कहा कि हमारे नेता ने मस्जिद के अंदर किसी भी प्रकार की गतिविधि नहीं की, वे केवल चाय पीने गए थे।

उन्होंने कहा कि यह भाजपा की मानसिकता है और उनके आरोप पूरी तरह से निराधार हैं। हमारे नेता ने मस्जिद के अंदर किसी गतिविधि में भाग नहीं लिया, बस चाय पीने के लिए गए थे। मैं पूछता हूं कि अखिलेश यादव के वहां (मस्जिद) चाय पीने से भाजपा को क्यों परेशानी हो रही है?

Point of View

यह स्पष्ट है कि राजनीति में धर्म का उपयोग एक संवेदनशील मुद्दा है। अखिलेश यादव का मस्जिद में बैठना एक राजनीतिक रणनीति हो सकती है, लेकिन इसे तुष्टीकरण के रूप में देखना भी उचित नहीं है। हमें इस मुद्दे को बिना पूर्वाग्रह के समझने की आवश्यकता है।
NationPress
23/07/2025

Frequently Asked Questions

अखिलेश यादव ने मस्जिद में बैठक क्यों की?
उनका कहना है कि यह एक सामाजिक मुलाकात थी, जिसमें वे चाय पीने गए थे।
महंत दयाराम दास का क्या कहना है?
महंत ने कहा कि यह तुष्टीकरण की राजनीति है और धर्मगुरुओं का अपमान नहीं होना चाहिए।
क्या यह भाजपा की राजनीतिक रणनीति है?
भाजपा ने इस मुद्दे को भ्रामक तरीके से उठाया है, ऐसा सपा के नेताओं का कहना है।